फ्रांस दौरे में कई कार्यक्रमों में कुल्लू टोपी पहन कर पहुंचे पीएम मोदी, बुनकरों में जगी उम्मीद

देश-दुनिया में कुल्लवी टोपी को बड़े चाव से पसंद किया जाता है। लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी ने कुल्लू की टोपी की धमक विश्व पटल पर और भी चर्चित कर दिया है। इससे इस उद्योग से जुड़े लोगों में नई उम्मीद जगी है।

पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने फ्रांस दौरे के दौरान कुल्लवी डिजाइन की बनी टोपी को कई कार्यक्रमों में पहने रखा। मोदी जब फ्रांस से अमेरिका के रवाना हुए तब भी उन्होंने कुल्लवी टोपी को पहने हुए थे। पीएम मोदी द्वारा कुल्लू की टोपी के विदेश की धरती में पहनने से जहां कुल्लू के हथकरघा उद्योग को गति मिलेगी, वहीं बुनकरों में भी खुशी है। समय-समय पर हिमाचल की टोपी व शॉल व अन्य उत्पादों का हस्तेमाल करने से यह उनका हिमाचल के प्रति अपने प्रेम को दर्शाता है।

पीएम मानते हैं हिमाचल को दूसरा घर
वहीं, पीएम मोदी भी पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की तरह कुल्लू हिमाचल को अपना दूसरा घर मानते हैं। इसे पहले भी मोदी ने पांच फरवरी को कुल्लू की टोपी को पहन कर महाकुंभ में भाग लिया और डुबकी लगाने के बाद जल अर्पित किया था। अब वैश्विक मंच पर टोपी के धमक से कुल्लूवासियों के चेहरे में खुशी देखने को मिली है। इससे कुल्लवी टोपी की ऑफ लाइन व ऑन लाइन खरीदारी में डिमांड बढ़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सोशल मीडिया में इसे फ्रांस में हिमाचल की संस्कृति एवं मोदी के स्नेह की झलक बताया।

कुल्लू में बुनकर से जुड़े हैं हजारों लोग
सहकारिता के क्षेत्र में जिला कुल्लू अग्रणी है और यहां बुनकर उद्योग से हजारों लोगों को जीवन यापन जुड़ा है। इसमें कुल्लू की टोपी की खास विशेषता है। हिमाचल प्रदेश में युवा लेकर महिला व पुरूष टोपी पहनते है यह हिमाचल के पहवाने की संस्कृति की हिस्सा है। जिला कुल्लू में शहरों से लेकर गांव तक इस उद्योग में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक है।

पीएम मोदी ने फ्रांस में जो टोपी पहनी थी वह शुद्ध पारंपरिक कुल्लू टोपी ही है। कहा कि प्रधानमंत्री मोदी विदेशों में भी कुल्लवी उत्पादों की ब्रांड अबेंसडर की भूमिका निभा रहे हैं। जिला कुल्लू में करीब 25,000 बुनकर जुड़े हैं और इस उद्योग को नए पंख लगेंगे

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