
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड पिछले दो वर्ष से उधार के प्रबंधन पर चल रहा है। शिक्षा बोर्ड में मौजूदा समय में न तो स्थायी अध्यक्ष है और न ही प्रदेश सरकार शिक्षा बोर्ड की बीओडी का गठन कर सकी है। इसके चलते बोर्ड प्रबंधन में कई छात्र और कर्मचारी हित के कार्य लटके हुए हैं। हालांकि कुछ फैसले लिए जा रहे हैं, लेकिन इन फैसलों को इमरजेंसी की स्थिति में कार्यकारी बोर्ड अध्यक्ष ही ले रहे हैं
जानकारी के अनुसार हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड पिछले दो वर्ष से बिना स्थायी बोर्ड अध्यक्ष के चल रहा है। शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष का जिम्मा मौजूदा समय में जिलाधीश कांगड़ा हेमराज बैरवा को दिया गया है। एक जिलाधीश होने के नाते शिक्षा बोर्ड को कितना समय दे पाते होंगे, इसका अंदाजा खुद ही लगाया जा सकता है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड में पिछले दो वर्ष से बीओडी का भी गठन नहीं किया गया है, जिसका खामियाजा बोर्ड कर्मचारियों और विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा बोर्ड में कर्मचारी और छात्र हित सहित कई प्रकार के फैसले होते हैं, जिनका निर्णय बीओडी करती है। इसके अलावा बोर्ड प्रबंधन को कितना बजट खर्च करना है, छात्रों को छात्रवृत्ति देने सहित उनके हित में कार्य करने का फैसला बीओडी लेती है। पिछले दो वर्ष से इस प्रकार के कोई निर्णय नहीं लिया जा सके हैं। वहीं इस संदर्भ में शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एवं जिलाधीश कांगड़ा हेमराज बैरवा से बात करनी चाही तो उन्होंने फोन ही नहीं उठाया।
क्या कहते हैं बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष
हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष एसके सोनी का कहना है कि शिक्षा बोर्ड को चलाने में जहां एक स्थायी अध्यक्ष का होना जरूरी है, वहीं बीओडी का होना भी उतना ही जरूरी है। बीओडी न होने के कारण छात्र हित सहित कई प्रकार के अन्य फैसले लेने में बोर्ड अध्यक्ष को दिक्कत आती है। हालांकि बोर्ड अध्यक्ष कई बार इमरजेंसी में निर्णय ले सकते हैं, लेकिन वह निर्णय उनका स्वयं का होता है। अगर बीओडी होगी तो उसमें चर्चा के बाद निर्णय होगा, जोकि सबके लिए ठीक रहता है।
न बजट का हो रहा प्रावधान, न कर्मियों के बन रही कोई नीति : सुनील
वहीं हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने बताया कि बोर्ड में पिछले दो वर्षों से बीओडी नहीं है। इसके चलते बोर्ड के कर्मचारियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। बीओडी न होने के कारण दो साल से बोर्ड के लिए नया बजट नहीं बन पाया है। साथ ही छात्रों के हित में भी फैसले नहीं लिए जा सके हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को जल्द बोर्ड की बीओडी का गठन करना चाहिए।