
अब विमानों में इस्तेमाल होने वाले कंडम और नकली कलपुर्जों को पकड़ पाना आसान होगा। एक भी कलपुर्जा कंडम हुआ तो विमान उड़ ही नहीं पाएगा। ब्लाॅक चेन और हायपर लेजर विधि से कंडम और नकली कलपुर्जे का अलर्ट सीधा रेगुलेटरी बॉडी सहित संबंधित एजेंसी को मिलेगा। इतना ही नहीं, कॉकपिट में पायलट को कंडम कलपुर्जे का अलर्ट रेड फ्लैग के रूप में दिखेगा। इससे कंडम और नकली कलपुर्जों की वजह से होने वाले विमान हादसे रुकेंगे।
एनआईटी हमीरपुर, भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई और ओमान के मिडिल ईस्ट कॉलेज मस्कट के विशेषज्ञों ने यह तकनीक ईजाद की है। इस आविष्कार को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय और आस्ट्रेलियन सरकार के विशेषज्ञों से मंजूरी मिल गई
वर्ष 2018-2019 में एक विमान निर्माता कंपनी के विभिन्न एयरलाइन के जहाज क्रैश हुए थे। लॉयन एयर फ्लाइट और इथोपियन एयरलाइन की फ्लाइट क्रैश होने के बाद अमेरिका, कनाडा, भारत और चीन सहित कई देशों ने इस विमान निर्माता कंपनी के जहाजों को दो साल तक उड़ाने पर रोक लगा दी थी। इसके बाद उच्चस्तरीय जांच में यह पाया गया था कि इन विमान हादसों की वजह कंडम और नकली कलपुर्जे थे। ऐसे में विशेषज्ञों की यह खोज कंडम और नकली कलपुर्जों की पकड़ की दिशा में अहम आविष्कार माना जा रहा है। इस तकनीक से कलपुर्जों की रियल टाइम ट्रैकिंग होगी। अंतरराष्ट्रीय एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के मुताबिक वर्ष 2022 में 42 और 2023 में 30 विमान हादसे दुनिया भर में हुए थे।
शोध पर एक करोड़ से अधिक का बजट खर्च
ओमान के मिडिल ईस्ट कॉलेज मस्कट ने जनवरी 2020 में इस विषय पर शोध के लिए विशेषज्ञों को प्रोजेक्ट सौंपा था। डेढ़ वर्ष तक शोध के बाद जुलाई 2021 में पेटेंट के लिए भारत और आस्ट्रेलिया की सरकार को आवेदन किया। आस्ट्रेलिया की सरकार ने वर्ष 2021 में पेटेंट मंजूर कर दिया, जबकि भारत सरकार ने कुछ माह पूर्व इसे मंजूरी दी है। भारतीय प्रबंधन संस्थान मुंबई के डाॅक्टर आरिफ, एनआईटी हमीरपुर के सह प्राध्यापक मोहम्मद आदिल, ओमान के मिडिल ईस्ट कॉलेज मस्कट के सहायक प्राध्यापक अश्द उल्लाह ने यह आविष्कार किया है। इस प्रोजेक्ट पर एक करोड़ से अधिक का खर्च हुआ है।
ये है ब्लाॅक चेन और हायपर लेजर तकनीक
सहायक प्राध्यापक मोहम्मद आदिल ने कहा कि हाइपर लेजर एक ओपन सोर्स ब्लॉक चेन फ्रेमवर्क है। इसमें व्यवसायों, सरकारों और संस्थानों को सुरक्षित लेनदेन की सुविधा मिलती है, जो कि डिजिटल फार्म में सुरक्षित होते हैं। ब्लॉक चेन तकनीक स्पेयर पार्ट्स डाटा को अपने डाटाबेस में सुरक्षित रखती है। इससे कलपुर्जे के जीवन चक्र में विमान स्पेयर पार्ट्स में होने वाले परिवर्तनों को आसानी से ट्रैक और मॉनिटर किया जा सकता है। पुर्जा कंडम होते ही एयरक्राफ्ट ऑपरेटर, लॉजिस्टिक प्रोवाइडर, मेंटेनेंस रिपेयर ऑपरेटर और रेगुलेटरी बॉडी को मैसेज जाएगा। यह रियल टाइम अलर्ट पुर्जा बदले जाने तक ट्रैक किया जा सकेगा।