
अमेरिका के साथ टैरिफ वॉर का हिमाचल के सेब कारोबार पर असर पड़ सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत सहित अन्य देशों पर (रेसीप्रोकल टैरिफ) पारस्परिक ट्रैरिफ लागू करने की बात कही है। इस बीच चर्चा है कि भारत सरकार अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क घटाने का फैसला लेने की तैयारी में है। यदि ऐसा होता है तो हिमाचल के सेब उत्पादकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका ने 2 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लागू करने की घोषणा कर रखी है। भारत सरकार ने साल 2023 में अमेरिका के वाशिंगटन सेब पर आयात शुल्क 70 से घटाकर 50 फीसदी कर दिया था, जिसके बाद अमेरिका से सेब आयात करीब 19 फीसदी बढ़ गया और इसका हिमाचल के बागवानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
साल 2019 में अमेरिका के राष्ट्रपति रहते डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय स्टील और आयरन पर भारी भरकम आयात शुल्क लगा दिया था, जिस पर भारत ने 28 अमेरिकी उत्पादों पर पारस्परिक टैरिफ लगा दिया था, अमेरिका के वाशिंगटन सेब पर आयात शुल्क 20 फीसदी बढ़ाकर 50 से 70 फीसदी कर दिया था। आयात शुल्क बढ़ते ही अमेरिका से सेब आयात 1.20 लाख मीट्रिक टन से घट कर महज 4496 मीट्रिक टन रह गया। नवंबर 2023 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भारत आए और वाशिंगटन सेब पर आयात शुल्क में कटौती की मांग की तो भारत सरकार ने शुल्क 70 से घटा कर 50 फीसदी कर दिया। इससे एकाएक अमेरिकी सेब का देश में आयात 19 गुणा बढ़ कर 1.75 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। बीते साल सेब सीजन में भी हिमाचल के बागवानों को अमेरिकी सेब से भारी नुकसान उठाना पड़ा। अब अगर भारत सरकार अमेरिका के दबाव में अमेरिकी सेब पर आयात शुल्क 50 फीसदी से कम करने का फैसला लेता है तो हिमाचल के सेब कारोबार को करोड़ों का नुकसान होगा।
आयात शुल्क घटा तो बागवानों को होगा भारी नुकसान : डॉ. देवेंद्र
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत सरकार सेब, बादाम और अखरोट पर आयात शुल्क में कटौती की तैयारी कर रही है। अगर ऐसा हुआ तो हिमाचल और कश्मीर के बागवानों को भारी नुकसान होगा। अपनी रोजी रोटी बचाने के लिए किसान-बागवानों को आवाज उठानी होगी, ताकि ऐसा कोई फैसला न लिया जाए।-डाॅ. देवेंद्र शर्मा, कृषि विशेषज्ञ
प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर दर्ज करवाएं विरोध : हरीश
डोनाल्ड ट्रंप का ब्यान आया है कि भारत आयात शुल्क घटाने के लिए तैयार हो गया है। अगर 2023 की तरह भारत सरकार ने आयात शुल्क में कटौती की तो हिमाचल के बागवान बर्बाद हो जाएंगे। किसान-बागवानों को इसके खिलाफ प्रधानमंत्री मोदी, वित्त मंत्री और वाणिज्य मंत्री को पत्र लिखकर विरोध दर्ज करवाना चाहिए।