पढ़ाई से पहले मानसिक रूप से तैयार होंगे तीन से आठ साल की आयु के बच्चे, बदला तरीका

Himachal Pradesh Children aged three to eight years will be mentally prepared before studies method changed

हिमाचल प्रदेश में तीन से आठ साल की आयु के बच्चों को पढ़ाने का तरीका बदल गया है। पहली कक्षा तक प्रवेश लेने वाले बच्चों की पढ़ाई शुरू करने से पहले मानसिक रूप से तैयार किया जाएगा। पढ़ाई बोझ ना लगे इसके लिए खेल-खेल में गतिविधियां करवाई जाएंगी। हर बच्चे पर अलग से काम किया जाएगा। वीरवार को समग्र शिक्षा के परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने प्राथमिक शिक्षकों को वर्चुअल माध्यम से पढ़ाई करवाने की नई तरीकों को लेकर टिप्स दिए।

वीरवार को आयोजित हुए वेबिनार में परियोजना निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि 3 से 8 वर्ष की आयु बच्चों के संज्ञानात्मक विकास की दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण चरण है। इस समय बच्चों का मस्तिष्क तेजी से विकसित होता है और सोचने, समझने, सीखने तथा समस्याओं को हल करने की क्षमताएं आकार लेती हैं। इस अवस्था में शिक्षक की भूमिका सिर्फ पढ़ाने की नहीं, बल्कि बच्चे के मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास को पोषित करने की होती है। खेल आधारित, गतिविधि आधारित और आनंददायक शिक्षा द्वारा बच्चों को सहज रूप से सीखने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।

राजेश शर्मा ने शिक्षकों से आग्रह किया कि हर बच्चे को उसकी जरूरत के अनुसार पढ़ाएं। हर बच्चा अलग होता है और उसकी सीखने की गति और रुचि भी भिन्न होती है। उन्होंने डायग्नोस्टिक टीचिंग का उल्लेख करते हुए कहा कि शिक्षक पहले बच्चों की जरूरतों को पहचानें और उसके अनुसार पाठ्य सामग्री व शिक्षण पद्धति अपनाएं। शिक्षक अपने अनुभव और अवलोकन के आधार पर यह तय कर सकते हैं कि किस तरह का टीचिंग-लर्निंग मैटीरियल और कैसा कक्षा का वातावरण बच्चों के लिए अधिक प्रभावी रहेगा। राजेश शर्मा ने शिक्षकों से कहा कि वे इनोवेटिव तरीके अपनाएं ताकि पढ़ाई बच्चों को बोझ नहीं, बल्कि एक खेल लगे। बच्चों के लिए ऐसे क्लासरूम और शिक्षण सामग्री का निर्माण करें, जहां वे उत्साह के साथ स्कूल आएं।

तीन माह का पैकेज किया तैयार
वेबिनार के दौरान निपुण मिशन की राज्य संयोजक मंजुला शर्मा ने कहा कि तीन माह का रेडीनेस पैकेज तैयार किया गया है। इसके तहत पाठ्यक्रम शुरू करने से पहले बच्चों को बैठने, सुनने, बोलने, पढ़ने और लिखने के लिए तैयार किया जाता है। इस तरह बच्चों को धीरे-धीरे पुस्तकों से जोड़ने की प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके लिए शिक्षकों की ऑनलाइन व ऑफलाइन ट्रेनिंग भी की गई है।

माताओं की भागीदारी को सुनिश्चित करवाएं शिक्षक
समग्र शिक्षा निदेशक ने शिक्षकों को सुझाव दिया गया कि वे अभिभावकों, विशेष रूप से माताओं की भागीदारी को बढ़ावा दें। हिमाचल सरकार की ओर से शुरू किए गए पहली शिक्षक कार्यक्रम के तहत बालवाटिका स्तर के बच्चों की माताओं को विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जा रहा है ताकि बच्चों के घर और स्कूल दोनों स्थानों पर उनका संज्ञानात्मक विकास हो सके।

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