जहरीली बेल के फंदे से दम तोड़ रहे देवदार के पेड़, सीएम आवास परिसर में पेड़ गिरने की वजह भी यही

Himachal Shimla Cedar trees name of poisonous vines Versicaria pefolata weakening the roots of trees

राजधानी शिमला के सैकड़ों देवदार और दूसरे पेड़ खतरनाक बेल पॉइजन आईवी के संक्रमण की चपेट में हैं। यह बेल पेड़ों को धीरे-धीरे निगल रही है और उनकी जड़ों को कमजोर कर गिरने पर मजबूर कर रही है। हाल ही में मुख्यमंत्री आवास के पास एक बड़ा पेड़ गिरा था। इसके पीछे इसी बेल का असर बताया जा रहा है।

इस बेल को स्थानीय भाषा में विलायती बेल या बिच्छू बेल कहा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम वर्सीकारिया पफोलेटा है। यह बेल बेहद तेजी से फैलने वाली प्रजाति में से है। इसे माइल-ए-मिनट वीड भी कहा जाता है। यह बेल प्रदेश के जंगलों में खासकर शिमला जिले में बड़ी संख्या में फैल चुकी है। पेड़ों पर लिपटकर उन्हें पूरी तरह से ढक रही है। शिमला के समरहिल, बालूगंज, छोटा शिमला, जाखू और संजौली में ये बेल सबसे ज्यादा बहर बरपा रही है। अनुमान है कि राजधानी के करीब 500 से अधिक पेड़ इस बेल की चपेट में हैं। इनमें से अधिकांश देवदार और चीड़ जैसे लंबे पेड़ हैं। हालांकि वन विभाग ने इसका कोई आधिकारिक सर्वे नहीं किया है।

हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक विनित जिस्टू ने कहा कि यह बेल पेड़ों की तनों से होते हुए शाखाओं पर चढ़ जाती है। बेल सूरज की रोशनी को पूरी तरह रोक देती है। इससे पेड़ खुद के लिए जरूरी प्रकाश संश्लेषण नहीं कर पाते। इसके अलावा बेल पेड़ की जड़ों तक भी फैलकर पोषक तत्वों का अवशोषण रोकती है। इससे पेड़ कमजोर होकर गिरने लगते हैं। पूरी तरह से बेल को बढ़ने में 12-15 साल लगते हैं। बेल पेड़ से लिपटकर उसके पोषक तत्वों को चोरी करसी है। साथ ही जड़ों को कमजोर करती है। इस बेल को केवल हाथों से हटाना ही फिलहाल सबसे सुरक्षित तरीका है। इसके लिए रसायनों का इस्तेमाल पर्यावरण और वन्यजीवों पर नकारात्मक असर डाल सकता है।

मुख्यमंत्री आवास के पास घटना ने दी चेतावनी
मुख्यमंत्री आवास के पास हाल ही में गिरे पेड़ की जांच करने पर पता चला कि उसकी जड़ें कमजोर हो चुकी थीं। तने के चारों ओर यह बेल पूरी तरह से फैली थी। वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस बेल के कारण पेड़ को पर्याप्त पोषण नहीं मिल पाया और बारिश के दौरान जड़ें मिट्टी से उखड़ गईं। यह घटना राजधानी के अन्य इलाकों के लिए भी चेतावनी है।

वन विभाग के पास कोई आधिकारिक सर्वे नहीं है जिससे पता चले कि शहर के कितने पेड़ों पर बेल लिपटी है। वन विभाग ने 2023 में पेड़ों से बेलें हटाने का काम किया था। बजट के अभाव में हर पेड़ से बेल हटाने का कार्य नहीं किया जा सकता।

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