हरी मिर्च किसानों की आर्थिकी करेगी मजबूत, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर ने तैयार की तीन नई किस्में

Himachal News Green chilli Agricultural University Palampur has prepared three new varieties

हिमाचल प्रदेश के किसानों की अब हरी मिर्च भी आर्थिकी मजबूत करेगी। हरी मिर्च में न तो सड़न रोग लगेगा और न ही इस मिर्च का पौधा मुरझाएगा। कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर में मिर्च पर शोध कर तीन नई किस्में तैयार की हैं। रोग प्रतिरोधक क्षमता और खाने में तीखे स्वाद से भरपूर इन मिर्चों की विवि ने अलग-अलग किस्में तैयार की हैं। कृषि विवि की ओर से तैयार की गई इन संकर किस्मों का अनुमोदन राज्य स्तरीय कृषि अधिकारी कार्यशाला में किया जा चुका है। इनकी व्यावसायिक खेती करने के लिए इनका प्रारूप राज्य वेरिएंटल विमोचन समिति को भेज दिया है, जो जल्द ही किसानों के खेतों तक पहुंच जाएंगी।

विवि का इसे प्रदेश के किसानों की आर्थिकी मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण योगदान माना जा रहा है लेकिन हरी मिर्च के सफल उत्पादन में फल सड़न और जीवाणु मुरझान रोग मुख्य चुनौती है। प्रदेश के मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में इस रोग की अधिक समस्या रहती है लेकिन अब इस रोग की प्रतिरोधी किस्में विकसित करने में प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय ने एक बड़ी सफलता हासिल की है। विवि ने पहली बार आनुवंशिक नर बांझपन प्रणाली का प्रयोग करके मिर्च की तीन संकर किस्में हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-1, हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-2 एवं हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-3, विकसित की हैं जो न सिर्फ जीवाणु मुरझान रोग प्रतिरोधी हैं, बल्कि कई विशेषताओं से सुसज्जित हैं। विवि की इन तीन किस्मों में ऊपर की ओर लगने वाले हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-1 किस्म मूसलाधार बारिशवाले क्षेत्रों में खेती के लिए उपयुक्त है। हल्के हरे रंग की हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-2 व तीसरी किस्म हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-3 गहरे हरे रंग की है। यह खाने में तीखी होती हैं।

प्रदेश कृषि विवि पालमपुर की ओर तैयार की गई इन तीन किस्मों में प्रदेश के किसानों की आर्थिकी में काफी सुधार होगा। शोध में मिर्च का उत्पादन भी बढ़ा है। इसमें हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-1 की उपज क्षमता 220-265 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-2 की उपज क्षमता 275-325 क्विंटल प्रति हेक्टेयर व तीसरी हिम पालम मिर्च हाईब्रिड-3 के औसत उपज क्षमता 275-350 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। विवि की ओर से अपने शोध में तैयार की गई इन तीन किस्म की मिर्च के पौधों में सड़न रोग की समस्या नहीं आएगी

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