
साइबर ठगों की आप पर नजर है। देश में रोज 63 करोड़ और हिमाचल में 31 लाख रुपये से ज्यादा की साइबर ठगी हो रही है। सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले एक साल में देश में करीब 22,851 करोड़ और हिमाचल में लोगों के 114 करोड़ रुपये साइबर ठगों ने लूटे हैं। हिमाचल के हर तीसरे व्यक्ति को साइबर अपराधी टटोल रहे हैं। रोजाना औसत 310 कॉल आ रही हैं। यानी हर पांच मिनट में ठगों की एक कॉल आ रही है। उधर, ठगी का शिकार करीब तीस फीसदी लोग ही पुलिस में शिकायत दर्ज करवा रहे हैं। सत्तर फीसदी सामने ही नहीं आ रहे हैं। उद्यमियों-कारोबारियों, अफसरों और वीआईपी सभी को साइबर ठग निशाना बना रहे हैं। सबसे ज्यादा महिलाएं और बुजुर्ग निशाने पर हैं।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 से मार्च 2024 के बीच देश में साइबर धोखाधड़ी की 2.16 करोड़ शिकायतें सामने आईं। 2021 में 1,36,604 से बढ़कर 2022 में 5,13,334 और 2023 में 11,29,519 हो गईं। साल 2024 में मार्च तक 3,81,854 शिकायतें दर्ज की गईं। साइबर पुलिस के अनुसार हिमाचल में ठगों ने पांच साल में 156.25 करोड़ रुपये लूटे और इसमें भी सबसे ज्यादा 114 करोड़ की ठगी साल 2024 में हुई है। हिमाचल में बीते पांच वर्ष के दौरान 16 अप्रैल 2025 तक साइबर थानों में कुल 39,072 शिकायतें हुई हैं। इनमें से 22 हजार से अधिक शिकायतें वित्तीय ठगी की हैं। साइबर ठगी के 227 मामले दर्ज हो चुके हैं। 97 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। ज्यादातर ठगी शेयर मार्केट, लॉटरी, लोन, बीमा या एप आधारित निवेश के नाम पर हो रही है। पैसा डबल या कई गुना करने का लालच देकर, गंभीर अपराध में फंसे होने का भय दिखा डिजिटल अरेस्ट करने, अपनों की आवाज में बात कर, सेक्सटॉर्शन या अन्य तरीकों से भी ठगी की जा रही है।
जागरूकता बचा सकती है ठगी से : चावला
हिमाचल में सीआईडी के डीआईजी और साइबर अपराध के अन्वेषण से जुड़े नोडल अधिकारी मोहित चावला का कहना है कि साइबर ठगी के ज्यादातर मामले शेयर मार्केट में धन लगाने, पैसा दोगुना करने के लालच में लुटने, निवेश आदि के सामने आ रहे हैं। डिजिटल अरेस्ट, सेक्सटॉर्शन के मामले भी बढ़ रहे हैं। साइबर ठगों की औसत पांच मिनट में एक कॉल आ रही है। 15 मिनट में एक शिकायत हो रही है। जागरूकता ही लोगों को ठगी से बचा सकती है। पुलिस लगातार ठगे गए रुपयों की रिकवरी के प्रयास कर रही है। ठगी के कई मामलों में संलिप्त लोग पकड़े भी गए हैं। लोगों की जागरूकता ही है कि पिछले कुछ दिनों से 400 से 500 कॉल साइबर पुलिस को आ रहे हैं और उन पर तत्काल कार्रवाई की जा रही है। पहले इन कॉल्स की संख्या कम थी।
आधुनिक तकनीक और मजबूत कानून जरूरी
साइबर विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी अशोक शर्मा का कहना है कि साइबर अपराध को रोकने के लिए मजबूत कानून, आधुनिक तकनीक और जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। साइबर अपराधियों की लोकेशन पता करना मुश्किल होता है। ये प्रॉक्सी सर्वर का इस्तेमाल करते हैं, इसलिए वे अकसर पकड़ में नहीं आते। भारत में आईटी एक्ट 2000 को इस अपराध से निपटने के लिए लागू किया गया है, लेकिन इसे और सख्त और प्रभावी बनाने की जरूरत है। आम लोगों को किसी भी कॉल या मैसेज के संदेह पर तुरंत रिपोर्ट करना चाहिए। ध्यान रखें कि कोई अज्ञात व्यक्ति अकारण आपको आर्थिक लाभ नहीं देना चाहेगा।
मोबाइल फोन घनत्व में हिमाचल दूसरे नंबर पर
केंद्रीय संचार मंत्रालय की हाल की एक रिपोर्ट के अनुसार ओवरऑल टेलीडेंसिटी में दिल्ली पहले और हिमाचल दूसरे स्थान पर है। दिल्ली में टेलीडेंसिटी 280.78 प्रतिशत है। हिमाचल में यह घनत्व प्रतिशतता 120.80 है। केरल में यह 120.07 प्रतिशत है। पंजाब में यह 113.90, हरियाणा में 88.41 और जम्मू-कश्मीर में 92.39 है। भारत में यह घनत्व 85.43 प्रतिशत है। इसीलिए भी हिमाचल प्रदेश सहित अधिक टेलीडेंसिटी वाले राज्य अपराधियों के खास निशाने पर हैं।