मौसम की मार के बाद बीमारियों के चपेट में सेब के बगीचे, पाउडरी मिल्ड्यू और अल्टरनेरिया का प्रकोप

Himachal apple orchards are in the grip of diseases outbreak of powdery mildew and Alternaria

हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक क्षेत्रों में मौसम की मार झेलने के बाद अब बगीचे बीमारियों की चपेट में आने शुरू हो गए हैं। शिमला, कुल्लू, मंडी सहित अन्य जिलों में सेब के पौधों पर स्पॉटेड फ्रूट बॉरर, पाउडरी मिल्ड्यू और अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग का प्रकोप बढ़ना शुरू हो गया है। ओलावृष्टि के बाद अब फफूंद जनित बीमारियों ने बागवानों की परेशानी बढ़ा दी है।

शिमला जिला के रोहड़ू, कोटखाई और जुब्बल के विभिन्न इलाकों में इन बीमारियों के लक्षण देखने को मिले हैं। वर्तमान मौसम की स्थिति को देखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र शिमला ने बागवानों को विभिन्न फफूंद जनित बीमारियों के संबंध में परामर्श जारी किया है। इस समय सेब के पौधों में पाउडरी मिल्ड्यू और अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट का खतरा अधिक बताया है जो फसल पर गंभीर प्रभाव डाल सकतेे हैं। पाउडरी मिल्ड्यू एक आम बीमारी है जो नई कोमल शाखाओं, पत्तियों, फूलों और फलों को प्रभावित करती है, जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। इस रोग से पत्तियां मुड़ जाती हैं और उत्पादन में भारी कमी आती है। वहीं अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट में पत्तियों पर गोलाकार भूरे से काले धब्बे बनते हैं, जिनके किनारे पीले होते हैं और पत्तियां समय से पहले झड़ जाती हैं।

इन बीमारियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए नियमित निगरानी, उचित छंटाई, उचित वायु संचार, गिरी पत्तियों की सफाई, संतुलित पोषण प्रबंधन और छिड़काव के दौरान फफूंद नाशकों का परिवर्तन अत्यंत आवश्यक है। साथ ही फफूंदनाशकों के प्रयोग में लेबल पर दिए निर्देशों और सुरक्षा उपायों का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। स्पॉटेड फ्रूट बॉरर के कारण सेट हो चुके सेब के दानों पर सूंडियां छेद कर रही हैं और फल का विकास प्रभावित हो रहा है।

ऐसे करें दवाओं का छिड़काव
कृषि विज्ञान केंद्र शिमला की प्रभारी एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. उषा शर्मा ने बताया कि पाउडरी मिल्ड्यू और अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट रोग के नियंत्रण के लिए फफूंद नाशकों के छिड़काव की सलाह दी है। इसमें टाइट क्लस्टर, पेटल फॉल का मटर अवस्था पर डिफेकोनाजोल (30 एमएल)/ हेक्साकोनाजोल 4 फीसदी, जिनेब 68 फीसदी डब्लूपी (500ग्राम), टेबुकोनाजोल 50 फीसदी, ट्रायफ्लॉक्सिटरोबिन 25 फीसदी, डब्लूजी (80 ग्राम), टेबुकोनाजोल 8 फीसदी, कैप्टान 32 फीसदी एससी (500 एमएल), बॉस्कालिड 25.2 फसीदी, पैराक्लोस्ट्रोबिन 12.8 फीसदी, डब्लूडब्लू डब्लूजी (50 ग्राम), मेटरफेनॉन 500 ग्राम, l एससी (20 एमएल) जैसे प्रणालीगत फफूंदनाशकों का प्रयोग किया जा सकता है। कीट वैज्ञानिक डॉ. बीआर नेगी ने बताया कि स्पॉटेड फ्रूट बॉरर के कारण एक दाने पर दो या दो से अधिक छेद दिखाई देने पर मैलाथियॉन 1 मिली प्रति लीटर पानी के साथ छिड़काव की सलाह दी गई है।

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