
हिमाचल प्रदेश में अब अधिकारियों और कर्मचारियों के तबादले विधायकों की सहमति के बिना नहीं होंगे। संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायकों की सहमति और विभागों के मंत्री के नोट पर ही तबादले हो सकेंगे। तर्क दिया जा रहा है कि विधायकों को अपने क्षेत्र की जानकारी रहती है, ऐसे में इनकी सहमति जरूरी है। शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, जल शक्ति विभाग, बिजली बोर्ड व अन्य ऐसे महकमे हैं, जिनमें कई मंत्रियों के नोट पर विधायकों को विश्वास में नहीं लिया गया है। ऐसे में कई जगह अधिकारी व कर्मचारी ज्यादा हो गए हैं तो कहीं स्टाफ की कमी हो गई है। ऐसे में तबादलों के लिए विधायकों की सहमति को अनिवार्य किया गया है।
उल्लेखनीय है कि जब भी मुख्यमंत्री और मंत्री क्षेत्रों के दौरे पर जाते हैं तो वहां कर्मचारी व अधिकारी तबादलों को लेकर पत्र दे देते हैं। इसके बाद मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से तबादलों के नोट जारी हो जाते हैं। इसके बाद यह नोट विभागों को जाते हैं। तबादला आदेश जारी होने पर पता चलता है कि जहां से कर्मचारियों व अधिकारियों का तबादला हुआ है, उस सीट पर अब दूसरे अधिकारी, कर्मचारी या शिक्षक हैं ही नहीं। इन सबको देखते हुए यह फैसला लिया गया है। संबंधित विधानसभा क्षेत्र के विधायक को पूरी जानकारी होती है कि उनके विधानसभा क्षेत्र में किस स्कूल में कितने अध्यापक हैं, लोक निर्माण विभाग में कितने कर्मचारियों की कमी है, कहां सरप्लस हैं। ऐसे में विधायक जनता की सुविधा को देखते हुए अपना नोट जारी करते हैं। लेकिन विधायकों को भी विभागों की स्थिति को देखते हुए नोट जारी करना होगा।
15 अप्रैल के बाद नोट नहीं हो रहे कंसीडर
प्रदेश सरकार ने शिक्षा विभाग में तबादलों से प्रतिबंध हटा दिया था। 15 अप्रैल तक डीओ नोट को कंसीडर किया जा रहा था। इसके बाद आए नोट को विभाग ने कंसीडर करना बंद कर दिया है। हिमाचल में ऐसे कई स्कूल है, जहां अध्यापक नहीं हैं। जबकि कई स्कूलों में सरप्लस स्टाफ है।