
राज्य सरकार पर हिमकेयर योजना की देनदारी बढ़ गई है। इस वित्तीय वर्ष में एम्स बिलासपुर, पीजीआई चंडीगढ़ समेत अन्य अस्पतालों की 169 करोड़ रुपये की राशि लंबित है। सरकार की ओर से पैसा जारी न होने से वेंडर अब मरीजों को सामान देने में आनाकानी करने लगे हैं। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार ने मरीजों के इलाज का पीजीआई को 11 करोड़, एम्स बिलासपुर को 22 करोड़, आईजीएमसी शिमला को 74 और टांडा मेडिकल कॉलेज को 45 करोड़ रुपये देने हैं।
उधर, हिमाचल में हिमकेयर योजना का ऑडिट शुरू हो गया है। राज्य लेखा परीक्षा विभाग को इसका जिम्मा सौंपा गया है। इसमें मरीजों की संख्या, उनकी बीमारी और उस पर किए खर्च का रिकॉर्ड जुटाना शुरू कर दिया है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला, टांडा मेडिकल कॉलेज कांगड़ा, पीजीआई चंडीगढ़ सहित सभी निजी अस्पतालों की ऑडिट के तहत जांच की जाएगी। प्रधान सचिव वित्त की ओर से राज्य लेखा परीक्षा विभाग को ऑडिट करने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री पहले की कह चुके हैं कि हिमाचल में हिमकेयर योजना में हुए गड़बड़झाले की जांच की जाएगी। पूर्व सरकार ने योजना के तहत 800 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। राज्य लेखा परीक्षा विभाग की ओर से इस बाबत आईजीएमसी, टांडा और पीजीआई चंडीगढ़ सहित निजी अस्पतालों को पत्र जारी कर सारा रिकॉर्ड देने को कहा है। कितनों लोगों का हिमकेयर में इलाज हुआ, इसकी जानकारियां जुटाई जा रही हैं। यह भी पता किया जा रहा है कि अस्पताल में जो इलाज हुआ, उससे संबंधित उपकरण भी वहां हैं या नहीं।
पूर्व सरकार में निजी अस्पतालों में दिए गए 350 करोड़
यह भी बात सामने आई है पूर्व में कि हिमकेयर के नाम पर 350 करोड़ रुपये निजी अस्पतालों को लुटा दिए गए। इनमें से 190 करोड़ का भुगतान मौजूदा सरकार कर चुकी है। पूर्व सरकार के दौरान हिमकेयर योजना के तहत 9.50 लाख लोग इलाज करवाने के लिए बाहर चले गए। इससे प्रदेश की जीडीपी को एक हजार करोड़ का नुकसान हुआ।