कई उद्योगों में आधा रह गया उत्पादन, सिक्किम का रुख करने लगे उद्योग

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Production in many industries reduced to half, industries started moving to Sikkim, know the reason

 बाहरी राज्यों के नामी उद्योगपतियों ने हिमाचल में अपने उद्योगों में उत्पादन कम कर दिया है। बद्दी, नालागढ़, सिरमौर में कंपनियों ने उत्पादन 100 फीसदी से घटाकर 60 फीसदी कर दिया है। कई कंपनियां कारोबार समेटने को तैयार हैं। उद्योगपति जम्मू-कश्मीर और सिक्किम में उद्योग स्थापित करने को तरजीह दे रहे हैं। इसका कारण वहां उद्योग लगाने के लिए मशीनरियों में सब्सिडी, इंसेटिव, बिजली और पानी की दरों में उद्योगपतियों को राहत मिल रही है। वहीं, हिमाचल में धारा 118 की अड़चनें, ट्रकों का भाड़ा अधिक होने के अलावा अन्य कई दिक्कतें होने का हवाला उद्यमी दे रहे हैं।

कई कंपनियों ने हिमाचल में अपना उत्पादन आधा कर दिया है। उद्योग विभाग के लिए इन दिनों यह चिंता का विषय है। हिमाचल सरकार की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। उधर, केंद्र सरकार ने इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट स्कीम (आईडीएस) पहले ही बंद कर दी है। केंद्र सरकार ने साल 2017 में हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू में उद्योगों के विकास के लिए आईडीएस योजना शुरू की थी। प्रदेश में बिजली की कीमतें पंजाब और हरियाणा से भी ज्यादा हो गई हैं। बिल पहले के मुकाबले करीब 20 से 30 फीसदी ज्यादा आ रहे हैं।

बीबीएन इंडस्ट्रियल एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल और पूर्व अध्यक्ष राजेंद्र गुलेरिया ने बताया कि उद्योगपतियों को 7 से 8 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली दी जा रही है। ट्रक के भाड़े के दाम आसमान छू रहे हैं। बद्दी-बरोटीवाला में आधारभूत ढांचे सही नहीं हैं। बिजली पर सेस लगा दिया है। एडिशनल गुड्स टैक्स (एजीटी) में बढ़ोतरी कर दी गई है। उद्योगपतियों ने सरकार से भी इस मामले को उठाया, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया है। ऐसे में उद्योगपतियों ने हिमाचल में उत्पादन कम किया है। कई उद्योगपति पलायन करने में भी लगे हैं। इस पर सरकार को सोचने की जरूरत है।

डेढ़ लाख करोड़ रुपये का उत्पादन होता है हिमाचल में
हिमाचल में 28 हजार छोटे-बड़े उद्योग हैं। इन उद्योगों में हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये का उत्पादन होता था। 12 हजार करोड़ रुपये का सामान बाहरी राज्यों में भेजा जाता है। लेकिन अब उत्पादन दिन प्रतिदिन घटता जा रहा है।

सिक्किम और जम्मू में इंसेटिव दिए जा रहे हैं। ऐसे में कंपनियां उन राज्यों में अपना कारोबार फैला रही हैं। इस मामले को गंभीरता से देखा जा रहा है

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