ढूंढे नहीं मिल रही गुच्छी, पैदावार में 90 फीसदी की रिकॉर्ड कमी, अब मनरेगा में काम की तलाश

Spread the love
Himachal Gucchi is not being found 90 percent record decrease in production now looking for work in MNREGA

कुल्लू के जंगलों में इस बार गुच्छी ढूंढे नहीं मिल रही है। हजारों लोगों की आर्थिकी इससे चलती है। इस बार गुच्छी की पैदावार 90 फीसदी कम हो गई है। हाई प्रोफाइल लोगों की थाली की शान रही गुच्छी के नहीं मिलने से लोगों को आर्थिक रूप से भारी नुकसान उठाना पड़ा है। गुच्छी तलाश करने वाली अनीता ठाकुर, रमा देवी, माघी देवी और किशोरी लाल ने कहा कि इस बार जंगलों में गुच्छी नहीं मिल रही है। गुच्छी नहीं होने से उन्होंने तलाश करना ही छोड़ दिया है। पहले उन्होंने आठ से दस दिन तक गुच्छी ढूंढी मगर निराशा ही हाथ लगी। इसके बदले उन्होंने मनरेगा का काम करना ही उचित समझा। जहां उन्हें कम से कम 300 रुपये की दिहाड़ी मिल रही है। गुच्छी कारोबारी बेली राम महंत ओर बीर सिंह ठाकुर ने कहा कि गुच्छी इस बार नहीं मिल रही है। हेमराज ने कहा कि उन्होंने पिछले साल डेढ़ क्विंटल गुच्छी खरीदी थी और इस बार मात्र एक किलो गुच्छी ही मिली पाई है।

मौसम का ट्रेंड बदलने से कम रही पैदावार
प्रदेश में मौसम का ट्रेंड साल दर साल बदलने लगा है। समय पर बर्फबारी के साथ बारिश न होने से सूखा पड़ रहा है। 15 मार्च से लेकर 15 मई तक करीब दो माह तक कुल्लू के साथ सूबे में प्राकृतिक तौर पर तैयार होने वाली गुच्छी का सीजन रहता है। मगर इस बार मौसम की मार गुच्छी पर पड़ी है। वीआईपी लोगों को परोसी जाने वाली गुच्छी अब ढूंढने से भी नहीं मिल रही है। लोग तड़के सुबह गुच्छी की तलाश के लिए जंगलों को निकलते थे और दोपहर और शाम तक 250 ग्राम से 500 ग्राम गुच्छी ढूंढकर लाते थे। मगर इस बार लोगों को 100 ग्राम गुच्छी को ढूंढना भी कठिन हो गया है। इससे के हजारों लोगों की आर्थिकी पर असर पड़ा है। कुल्लू के निरमंड, आनी, बंजार, कुल्लू, सैंज, गड़सा, मणिकर्ण, लगवैली सहित ऊझी घाटी में बड़े स्तर पर गुच्छी की तलाश की जाती है। इस बार लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

मौसम काल चक्र में लगातार बदलाव आ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग के साथ पोलर ड्रिफ्ट का असर है। इससे न केवल कुल्लू-लाहौल में असमय बर्फबारी हो रही है। बल्कि बादलों के न बरसने से भी सूखा पड़ रहा है। इससे कृषि-बागवानी के साथ प्राकृतिक तौर पर उत्पादित होने वाली गुच्छी और जड़ी-बूटियों में असर पड़ रहा है- बीएस राणा,सेवानिवृत्त मुख्य अरण्यपाल एवं लाहौल-स्पीति सेव संस्था के अध्यक्ष

पिछले साल लोगों को मिली थी बंपर गुच्छी
वर्ष 2024 को गुच्छी सीजन में लोगों को भारी मात्रा में गुच्छी मिली थी। कुल्लू के गड़सा घाटी की पारली पंचायत में एक महिला ने एक ही दिन में गुच्छी का किल्टा एकत्रित किया था। कुल्लू जिले में करीब 3,000 किलोग्राम गुच्छी का कारोबार है। मगर इस बार यह कारोबार 10 फीसदी से भी कम है।

नेता, बॉलीवुड और फाइव स्टार होटलों की शान है गुच्छी
प्राकृतिक तौर पर उगने वाली गुच्छी प्रधानमंत्री से लेकर विदेशी राजनेताओं की थाली की शान रही है। इसके अलावा बाॅलीवुड हस्तियों के साथ देश के फाइव स्टार होटलों में इसकी मांग रहती है। गुच्छी में कई गुण पाए जाते हैं। इसमें प्रोटीन, फाइबर, विटामिन-डी, और अन्य पोषक तत्व होते हैं। इसमें एंटीऑक्सिडेंट भी पाए जाते हैं जो हृदय रोगों और मधुमेह को रोकने में मदद करते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *