
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने मिड-डे मील के तहत उसी स्कूल में खाना पकाने के अनुभव को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। पॉलिसी के तहत खाना पकाने के अनुभव के लिए 3 अंक आवंटित किए जाने थे, लेकिन चयन समिति ने इन अंकों को केवल उसी स्कूल में खाना पकाने के अनुभव तक सीमित कर दिया। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की पीठ ने यह फैसला याचिकाकर्ता की शिकायत पर सुनाया, जिसमें चयन प्रक्रिया में विसंगतियों का आरोप लगाया गया था। अदालत ने जिला शिमला के नेरवा के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील योजना के तहत कुक-कम-हेल्पर के चयन और नियुक्ति को रद्द कर दिया है।
न्यायालय ने नियुक्त की गई महिला के चयन को रद्द करते हुए राज्य और संबंधित अधिकारी को स्कूल में कुक-कम-हेल्पर के चयन और नियुक्ति के लिए नई प्रक्रिया संशोधित दिशा-निर्देशों के तहत करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता ने मिड-डे मील योजना के तहत कुक-कम-हेल्पर के रूप में नियुक्त महिला के चयन को चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान पाया गया कि स्कूल प्रबंधन समिति एसएमसी ने चयन प्रक्रिया में दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया था। अदालत ने अपने आदेश में मुख्य रूप से खाना पकाने के अनुभव के लिए अंकों के आवंटन पर प्रकाश डाला
राज्य की ओर से 8 दिसंबर 2011 को जारी दिशा-निर्देशों के खंड 10 के अनुसार खाना पकाने के अनुभव के लिए 3 अंक आवंटित किए जाने थे। हालांकि, चयन समिति ने इन अंकों को केवल उसी स्कूल में खाना पकाने के अनुभव तक सीमित कर दिया। नियुक्त महिला जिसने कुछ महीनों के लिए उसी स्कूल में काम किया था, उसे 3 अंक दिए गए, जबकि याचिकाकर्ता सहित अन्य उम्मीदवारों को इस श्रेणी में कोई अंक नहीं मिला। परिणामस्वरूप याचिकाकर्ता के कुल 7 अंक और नियुक्त महिला के 10 अंक हो गए और उसका चयन हो गया। अदालत ने कहा कि दिशा-निर्देशों में खाना पकाने के अनुभव के लिए अंकों को उसी स्कूल तक सीमित करने का कोई प्रावधान नहीं था। ऐसा करने से उन लोगों के पक्ष में एकाधिकार बन जाएगा, जिन्होंने पहले संबंधित स्कूल में काम किया था।