आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वर्तमान में लोगों के कई अनसुलझे सवालों का जवाब दे रही है तो वहीं अब इसकी मदद से साइबर क्राइम सेल साइबर अपराध से संबंधित शिकायतों का निपटारा भी करेगा। साइबर क्राइम शिमला हेल्पलाइन नंबर पर प्रदेशभर से आने वाले शिकायतों को सुनने के लिए एआई पर आधारित तकनीक की मदद लेने जा रहा है। इसमें शिकायत मिलने की आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस की मदद से व्यक्ति की शिकायत दर्ज हो जाएगी।
वहीं संबंधित बैंक, केंद्रीय एजेंसियों को भी केस के संबंध में आगामी कार्रवाई करने के लिए अलर्ट चला जाएगा। एआई पर आधारित इस तकनीक को लागू करने के लिए पुलिस विभाग की टीमें लगातार काम कर रही हैं। साइबर क्राइम सेल के मुताबिक आधुनिक तकनीक की मदद करके हम साइबर अपराध से जुड़े मामलों को कम समय में सुलझा सकते हैं। वहीं शिकायतों को सुनने में प्रयोग में आने वाले कर्मचारियों की मदद साइबर अपराध से जुड़े मामलों का सुलझाने में लगा सकते हैं। इससे साइबर क्राइम सेल में तैनात साइबर कमांडो और तकनीकी विशेषज्ञ साइबर अपराध से जुड़े मामलों में ही अपना पूरा ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
केंद्र सरकार से मांगी एपीआई
इस नई व्यवस्था को लागू करने के लिए पुलिस विभाग ने एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) के लिए आवेदन किया। इसकी मदद से साइबर क्राइम नई व्यवस्था को लागू करने के लिए संचार करना और डाटा शेयर की सुविधा प्राप्त कर सकेगा। केंद्र से एपीआई मिलते ही साइबर क्राइम इस सुविधा को शुरू कर देगा। एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) एक सॉफ्टवेयर इंटरफेस होता है जो विभिन्न सॉफ्टवेयर अनुप्रयोगों को एक-दूसरे के साथ संचार करने की अनुमति प्रदान करता है। यह विभिन्न अनुप्रयोगों को एक-दूसरे के साथ डाटा और कार्यक्षमता का आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।
हर रोज 500 से अधिक शिकायतें मिल रहीं
साइबर क्राइम सेल शिमला को हर रोज साइबर अपराध से जुड़ीं 500 से अधिक शिकायतें मिल रही हैं। इसमें वित्तीय धोखाधड़ी की शिकायतें भी हैं। साइबर अपराधी पहले जहां, डिजिटल अरेस्ट, डिप फेक जैसी तकनीकों के जरिये लोगों को ठगी का शिकार बना रहे थे तो अब ट्रेंड पर आधारित मसलों के नाम पर लोगों से धोखाधड़ी कर रहे हैं।
साइबर क्राइम सेल एआई पर आधारित तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों की शिकायतें सुनेगा। इसका मकसद लोगों की शिकायतों को बेहतर तरीके से सुनने के साथ ही उनका निपटारा करना है। इसके लिए केंद्र सरकार से एपीआई मांगी है। इनके मिलने के बाद व्यवस्था को शुरू करने की प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। साइबर ठगी होने पर लोग फौरन 1930 पर कॉल करें।