
आज विश्व तंबाकू निषेध दिवस है यानी वर्ल्ड नो टोबैको डे। अगर आप भी बीड़ी-सिगरेट पीते हैं या गुटखा व खैनी का सेवन करते हैं तो आज ही छोड़ने का संकल्प लें। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान और तंबाकू कैंसर का मुख्य कारण है। हिमाचल में फेफड़ों और मुंह का कैंसर चिंता का विषय बना हुआ है। कैंसर अस्पताल शिमला में हर साल फेफड़ों के कैंसर के 400 नए मरीज उपचार के लिए आ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा और मुख्य कारण तंबाकू और धूम्रपान माना जाता है। एक साल के आंकड़ों में मुताबिक महिलाओं में 10 फीसदी धूम्रपान की प्रतिशतता बढ़ी है, जबकि पुरुषों में कम हुई है।
विशेषज्ञों के अनुसार फेफड़ों के कैंसर से होने वाली 80 फीसदी मौतें धूम्रपान से संबंधित हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 2021 में तंबाकू और धूम्रमान के सेवन के 8990 मामले थे, वहीं 2022 में यह बढ़कर 9215, 2023 में 9473 और 2024 में 9667 हो गए हैं। डाॅक्टरों का मानना है कि कई कारक हैं, जो फेफड़ों के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं। लेकिन सिगरेट, सिगार या पाइप सहित किसी भी तरह के तंबाकू उत्पादों का सेवन सबसे बड़ा कारण है। तंबाकू के सेवन से अधिकतर लोगों के दांत और मसूड़े खराब हो रहे हैं। ये भी कैंसर का बड़ा कारण है। युवाओं में ओरल कैंसर के मामले कम हैं, जबकि 50 साल से अधिक और वृद्ध लोगों में तंबाकू के कारण अधिकतर दांत खराब हो रहे हैं। इसका मुख्य कारण तंबाकू माना जा रहा है। इससे ओरल कैंसर के मामले भी बढ़ रहे हैं।
बीते छह वर्षों में कैंसर रोगियों की संख्या में 46 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग 90 फीसदी फेफड़ों के कैंसर मरीजों ने कभी न कभी धूम्रपान किया था। एक अन्य शोध के अनुसार, पुरुषों में फेफड़ों के कैंसर के 95 फीसदी मामले और सिर-गर्दन के कैंसर के 70 फीसदी मामले तंबाकू सेवन से जुड़े होते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार हिमाचल में 32.3% पुरुष और 1.7% महिलाएं तंबाकू का किसी न किसी रूप में सेवन करती हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या ज्यादा है।
तंबाकू से बचना ही सुरक्षित
प्रदेश के सबसे बड़े कैंसर संस्थान के प्रभारी मनीष गुप्ता ने बताया कि तंबाकू को छोड़ने के लिए इच्छा शक्ति की आवश्यकता है। तंबाकू का सेवन करना शरीर के लिए सबसे बड़ा खतरा है। तंबाकू में निकोटिन, टार और बेंजीन जैसे हानिकारक रसायन होते हैं, जो शरीर की कोशिकाओं को गंभीर क्षति पहुंचाते हैं। जब कोई व्यक्ति तंबाकू चबाता या धूम्रपान करता है, तो ये रसायन शरीर में प्रवेश करके डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे कोशिकाओं की वृद्धि अनियंत्रित हो जाती है। यह अनियंत्रित वृद्धि कैंसर की शुरुआत का कारण बनती है। तंबाकू के सेवन से विशेष रूप से फेफड़ों, मुख, गले, फूड पाइप के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए तंबाकू से बचना ही सुरक्षित है।