
मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने कहा कि सरकार प्लास्टिक और ठोस कचरे पर कार्रवाई के लिए चालान से संबंधित एक्ट ला रही है, जिससे चालान देने में असुविधा न हो। इसे सरल किया जा रहा है। मुख्य सचिव ने कहा कि कैबिनेट ने प्लास्टिक पैदा करने वाले और जो प्रदूषण फैलाते हैं, उनकी जिम्मेवारी तय करने का निर्णय लिया है। पीटरहॉफ शिमला में कार्यक्रम में सक्सेना ने कहा कि राज्य मंत्रिमंडल ने हर जिले में पर्यावरण कार्यालय खोलने का निर्णय लिया है। हिमाचल ने पहले रंगीन पॉलीथिन को बैन किया। इसके बाद अन्य पॉलीथिन पर भी प्रतिबंध लगाया।
उन्होंने कहा कि वह बाहर जाते हैं तो लोग कहते हैं कि हिमाचल प्रदेश ने इसकी शुरुआत की। हिमाचल में 35 डिग्री से अधिक तापमान नहीं होता है, इसलिए बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक को भी बैन किया गया है। यह इसी तापमान में बायोडिग्रेडेगबल होता है। टैक्सियों या बसों में भी कूड़ेदान रखने के निर्देश दिए गए हैं। होटलों या सरकारी कार्यक्रमों में प्लास्टिक की बोतलें बंद कर दी गई हैं। मुख्यमंत्री ने पहले से ही ग्रीन स्टेट की बात की है। यह काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश डिपोजिट रिफंड स्कीम, प्लास्टिक उत्पन्न करने वालों और प्रदूषण फैलाने वालों पर नियंत्रण के लिए कारगर साबित होगी।
बिरला टैक्सटाइल एक करोड़, नेस्ले तीन करोड़ करेगा खर्च
– इस अवसर पर समारोह में उपस्थित बिरला टेक्सटाइल मिल बद्दी से रोहित अरोड़ा ने कहा कि रिसाइकल्ड प्लास्टिक और फाइबर पर हमारा ध्यान है। प्लास्टिक को रिसाइकिल करने की दिशा में काम रहे हैं। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट सेंटर बड़ोग में है। एक करोड़ रुपये पांच साल में इस पर खर्च कर रहे हैं। नेस्ले इंडिया के वैभव पटेल ने कहा कि 2019 से हिमाचल प्रदेश को सहयोग कर रहा है। नेस्ले 3 करोड़ रुपये प्रदेश में खर्च करेगा।