डिग्री-चेक नहीं होंगे वापस, डॉक्टरों के लिए दो साल ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देना जरूरी

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HP High Court: Degree-checks will not be returned, doctors must serve in rural areas for two years

हिमाचल हाईकोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में सेवाएं देने और 40 लाख रुपये की बॉन्ड शर्तों से पीछे हटने की कोशिश कर रहे डॉक्टरों पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने कहा कि डॉक्टरों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में दो साल सेवाएं देना अनिवार्य है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने एकल पीठ के उस फैसले पर रोक लगा दी, जिसमें याचिकाकर्ता चिकित्सकों को उनकी मूल एमबीबीएस डिग्री व बिना तारीख वाले चेक वापस करने के आदेश दिए थे। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने एकल जज के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें लापरवाह और दोषी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए हैं। 

याचिकाकर्ता जिम्मेदारियों से भाग रहे: खंडपीठ
अधिकारियों की वजह से डॉक्टरों को नियुक्ति देने में देरी हुई थी। अब मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त को होगी। खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं। एक दिन देरी से नियुक्ति पर सीधा न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जा रहा है। कोर्ट के बजाय इन्हें नियुक्ति के लिए विभाग से संपर्क करना चाहिए था। प्रदेश में सेवाएं देने के बजाय बॉन्ड रद्द करने के लिए याचिका दायर कर दी। जिस तरह से याचिकाकर्ताओं ने पोस्टिंग आदेशों के तुरंत बाद 23 अप्रैल को अदालत का दरवाजा खटखटाया, उस पर विचार करने की आवश्यकता है।

सरकार की ओर से कोर्ट में ये कहा गया
सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि उम्मीदवारों ने 24 जनवरी 2022 को 40 लाख रुपये का बॉन्ड निष्पादित किया था, जिसमें उन्होंने पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद दो साल तक हिमाचल में सेवाएं देने पर सहमति व्यक्त की थी। इसके लिए उन्हें आवश्यक वजीफा भी दिया गया। नीति का उद्देश्य पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद राज्य के गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा करना है। ये 49 डॉक्टर हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, पंजाब, केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, बिहार और उत्तराखंड से हैं। पोस्टिंग आदेश 10 अप्रैल को जारी किए गए थे, जबकि उम्मीदवार 10 मार्च 2025 से ही अपने कॉलेजों से मुक्त हो गए थे।

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