
हिमाचल प्रदेश राजकीय अध्यापक संघ में फिर फूट पड़ गई है। शुक्रवार को राजधानी शिमला में आमने-सामने हुए दो गुटों के शिक्षक नेताओं ने अपनी-अपनी मान्यता को सही बताया। शिमला में प्रेस वार्ता कर वीरेंद्र चौहान गुट और नरोत्तम वर्मा गुट ने एक-दूसरे पर स्वयंभू नेता बनने के आरोप लगाए। नरोत्तम वर्मा ने कहा कि वीरेंद्र चौहान गुट असांविधानिक हैं। इनके साथ कोई भी शिक्षक नहीं है। उधर, वीरेंद्र चौहान ने पलटवार करते हुए कहा कि संघ से निष्कासित शिक्षक समाज में भ्रांतियां फैला रहे हैं।शुक्रवार को शिमला में राजकीय अध्यापक संघ के एक गुट के प्रदेश अध्यक्ष नरोत्तम वर्मा ने प्रेस वार्ता कर आरोप लगाया कि वीरेंद्र चौहान स्वयंभू नेता हैं।
उनके साथ कोई शिक्षक नेता नहीं। वह राजनीतिक लाभ ले रहे हैं। नरोत्तम वर्मा ने कहा कि दो गुट बन जाने के कारण कर्मचारियों के असली मुद्दे सरकार तक पहुंच ही नहीं पा रहे। नरोत्तम वर्मा ने दावा किया कि उनका गुट मान्यता प्राप्त है। संघ जल्द ही मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री से मुलाकात कर विभिन्न लंबित मांगों को जल्द पूरा करने की मांग उठाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों को महंगाई भत्ते का एरियर वर्ष 2016 से अब तक नहीं मिला है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार भी बकाया एरियर का भुगतान लंबित है। प्रदेश के शिक्षकों की पदोन्नति भी लंबे समय से रुकी हुई हैं। जेबीटी से टीजीटी, मुख्य अध्यापक से प्रधानाचार्य की पदोन्नति लटकी है। इससे शिक्षकों में असंतोष है। उन्होंने कहा कि समयबद्ध पदोन्नति न केवल शिक्षकों का हक है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता के लिए भी आवश्यक है।
संघ ने प्रदेश सरकार से प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड के नए अध्यक्ष की शीघ्र नियुक्ति की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी के कारण छात्र संख्या में लगातार गिरावट आ रही है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों से गैर-शिक्षकीय कार्य लेना बंद किया जाए। उन्हें केवल शिक्षण कार्य तक सीमित रखा जाए। उधर, राजकीय अध्यापक संघ के अन्य गुट के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान ने प्रेस वार्ता कर कहा कि राजकीय अध्यापक संघ का चुनाव 2023 में हुआ है। चुनाव तीन साल के लिए होता है। कहा कि नरोत्तम वर्मा संघ के नाम का गलत तरीके से उपयोग कर रहे हैं। इसको लेकर कोर्ट में भी केस चला हुआ है। ये अपना अलग संगठन बनाए उससे उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने कहा कि राजकीय अध्यापक संघ केवल एक है और जो लोग संघ की मान्यता पर सवाल उठा रहे हैं उन्हें निष्कासित किया जा चुका है। ये नेता बताएं कि यदि उनके चुनाव और कार्यकारिणी सांविधानिक है तो कितनी बार उनकी शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर सरकार या अधिकारियों से बैठक हुई है।