हिमाचल में बढ़ रही किडनी की बीमारी, शिमला जिले में सर्वाधिक 39.9 प्रतिशत मरीज

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Kidney disease is increasing in Himachal Pradesh, Shimla district has the highest number of patients at 39.9 p

हिमाचल में क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) खामोश महामारी के रूप में पनप रही है। हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) की ओर से किए गए एक अध्ययन में इस बीमारी के बढ़ते खतरे को उजागर किया गया है। यह अध्ययन प्रदेश के बड़े स्वास्थ्य संस्थान इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज (आईजीएमसी) में उपचार करवाने आए मरीजों पर आधारित है। शिमला जिला में सर्वाधिक मामले आ रहे हैं। अध्ययन में शिमला को प्रमुख हॉटस्पॉट पाया गया है। अध्ययन में शामिल कुल रोगियों में से 39.9 प्रतिशत मरीज शिमला जिले से हैं, जबकि मंडी में 14.5, सोलन में 10 और कुल्लू में 8.6 प्रतिशत मरीज पाए गए हैं। लाहौल-स्पीति जिले में सबसे कम 0.6 फीसदी मरीज मिले हैं।

इसके लिए कम आबादी और अलग भौगोलिक परिस्थितियों को कारण बताया जा रहा है। उधर, डॉक्टरों की मानें तो शूगर, ब्लड प्रेशर, यूरिन में प्रोटीन लीक होना आदि कारणों से सीकेडी के मामले बढ़ रहे हैं। एचपीयू के अंतर विषय अध्ययन विभाग के वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी रणधीर सिंह रांटा के नेतृत्व में आंचल शर्मा और सुनंदा संघेल ने कुल 2,609 मरीजों पर यह अध्ययन किया है। उनके अनुसार, अध्ययन के दौरान 2014 से 2023 तक क्रॉनिक किडनी डिजीज के मरीजों का विश्लेषण किया गया। सीकेडी मरीजों की संख्या बढ़ने के प्रमुख कारण शुद्ध पेयजल की कमी, संतुलित और समय पर खानपान न होना, दिनचर्या का सही न होना, धूम्रपान, शराब, मानसिक तनाव, रक्तचाप आदि पाए गए हैं। इसके अलावा पानी को शुद्ध करने के लिए निश्चित मात्रा से अधिक क्लोरीन का डालना भी एक कारण हो सकता है।

60.2 फीसदी पुरुष और 39.8 प्रतिशत महिलाएं चपेट में
सीकेडी की चपेट में आए पुरुषों की संख्या 60.2 फीसदी है, जबकि महिलाओं की संख्या 39.8 प्रतिशत है। 57 से 67 वर्ष और 68 से अधिक आयु वर्ग में अधिकांश मामले पाए गए। 17 वर्ष से कम आयु वाले मरीज कम हैं। 57 से 67 वर्ष आयु वर्ग के लोगों में बीमारी का सबसे अधिक प्रसार दिखा। विशेष रूप से 2023 में यह ज्यादा रहा। सीकेडी के मामलों में दशक भर में स्पष्ट रूप से वृद्धि देखी गई, जो 2023 के कुल मामलों की 16.9 प्रतिशत के साथ चरम पर पहुंच गई। सबसे कम प्रसार 2017 में 6 प्रतिशत दर्ज किया गया।

शूगर और ब्लड प्रेशर मुख्य कारण
आईजीएमसी शिमला में नेफ्रोलॉजी विभाग की चिकित्सक डॉ. कामाक्षी सिंह ने बताया कि शूगर, ब्लड प्रेशर, यूरिन में प्रोटीन लीक होना क्रोनिक किडनी डिजीज के मुख्य कारणों में शामिल हैं। इसके अलावा गुर्दे की छननी का खराब होना और गुर्दे के अलग-अगल हिस्सों में होने वाली बीमारियां भी इसके लिए जिम्मेवार हैं। किडनी में पथरी हो तो उसका समय रहते उपचार करना चाहिए। उपचार न करने पर गुर्दे खराब हो सकते हैं। पानी में भी कई बार ऐसे तत्व होते हैं, जो किडनी को खराब करते हैं। हमें जीवनशैली में सुधार करने की जरूरत है।

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