हिमाचल प्रदेश में अब लिफ्ट स्थापित होने के एक महीने के भीतर अनुमति और लाइसेंस के लिए आवेदन करना अनिवार्य कर दिया गया है।
हिमाचल प्रदेश में अब बिना वैध लाइसेंस के लिफ्ट लगाने वालों पर कार्रवाई की जाएगी। राज्य सरकार ने जन सुरक्षा और उत्तरदायित्व की भावना को मजबूत करने के उद्देश्य से लिफ्ट स्थापित होने के एक महीने के भीतर अनुमति और लाइसेंस के लिए आवेदन करना अनिवार्य कर दिया है। स्वीकृति और लाइसेंस से जुड़े सभी कार्यों के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन करना होगा। सरकार ने सार्वजनिक और निजी परिसरों में लिफ्ट सुरक्षा नियम सख्ती से लागू करने का फैसला लिया है।
लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. अभिषेक जैन ने बताया कि हिमाचल प्रदेश लिफ्ट अधिनियम 2009 के तहत कोई भी व्यक्ति जो अपने परिसर में लिफ्ट लगाना चाहता है, उसे लिफ्ट स्थापित होने के एक महीने के भीतर अनुमति और लाइसेंस के लिए आवेदन करना जरूरी है। इस अधिनियम के बारे में लोगों को पर्याप्त जानकारी नहीं है। 31 अगस्त 2024 तक पूरे प्रदेश में केवल 1000 लिफ्टें ही पंजीकृत थीं, जबकि अब यह संख्या बढ़कर 1900 हो गई है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार लिफ्टों की स्वीकृति और लाइसेंस से जुड़े सभी कार्यों के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है, जिससे लोगों में लिफ्टों की सुरक्षा को लेकर विश्वास पैदा हो और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जो लोग लिफ्ट लगाना चाहते हैं, वे edistrict.hp.gov.in वेबसाइट पर जाकर नागरिक पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं। अब पंजीकरण, अनुमति और नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन कर दी गई है और शुल्क का भुगतान भी ऑनलाइन गेटवे के माध्यम से किया जा सकता है। जैन ने बताया कि जून 2025 तक 3500 लिफ्ट निरीक्षण किए जा चुके हैं, जबकि पिछले साल अगस्त तक केवल 750 निरीक्षण हुए थे।
अधिनियम के अनुसार हर लिफ्ट के भीतर उसका पंजीकरण और लाइसेंस की प्रति लगाना अनिवार्य है। उन्होंने बताया कि अब तक प्रदेश के होटलों, सरकारी कार्यालयों तथा अन्य सार्वजनिक और निजी इमारतों में लगभग 3500 लिफ्टें संचालित की जा रही हैं। अगस्त 2024 तक लगभग 2500 लिफ्टें बिना पंजीकरण के थीं, जिनमें से अब केवल 1500 लिफ्टों का पंजीकरण बाकी है। इन मामलों में नोटिस भी जारी किए गए हैं। जैन ने सभी नागरिकों से अपील की कि जो लोग अपने परिसर में लिफ्ट स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं या बिना पंजीकरण अथवा वैध लाईसेंस के लिफ्ट का संचालन कर रहे हैं, वह संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार स्वयं को पंजीकृत करें और लाईसेंस प्राप्त करें।
सचिव अभिषेक जैन ने बताया कि पंजीकरण अनिवार्य करने के बाद राजस्व में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। अधिनियम लागू होने के बाद 16 वर्षों में मात्र 7.5 लाख रुपये का राजस्व मिला था, जबकि फरवरी से जून 2025 तक 5.58 लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है। सुरक्षा जांच और स्वतः नवीनीकरण की सुविधा के कारण लिफ्ट दुर्घटनाओं में कमी आई है और लोगों में सुरक्षा को लेकर विश्वास भी बढ़ा है। इस प्रणाली ने डिजीटल रिकार्ड कीपिंग को व्यापक रूप से लागू किया है। इससे पारदर्शी ऑडिट ट्रेलस तैयार हुए हैं जो अनाधिकृत इंस्टॉलेशन को रोकते हैं और कानूनी मानदंडों का पालन सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा ऑनलाइन शुल्क संग्रह की प्रक्रिया में वित्तीय हानियों को कम किया गया है।