स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सदन को बताया कि मई 2025 में जारी औषधि अलर्ट में कुल 186 औषधि नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाया गया और इनमें से 49 दवाएं हिमाचल प्रदेश में निर्मित थीं।
संसद के मानसून सत्र के दौरान बुधवार को राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने हिमाचल प्रदेश में दवाओं की घटती गुणवत्ता और बायोमास ऊर्जा परियोजनाओं को लेकर केंद्र सरकार से सवाल किए। इसके जवाब में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने सदन को बताया कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की वेबसाइट पर मई 2025 में जारी औषधि अलर्ट में कुल 186 औषधि नमूनों को मानक गुणवत्ता के अनुरूप नहीं पाया गया और इनमें से 49 दवाएं हिमाचल प्रदेश में निर्मित थीं।
उन्होंने आगे बताया कि पिछले दो वर्षों के दौरान सीडीएससीओ ने हिमाचल स्थित दवा कंपनियों के 2275 दवाओं के नमूनों की जांच की है। इनमें विटामिन, ज्वरनाशक, एंटीबायोटिक, एंटीहेल्मिन्थिक्स जैसी दवाएं शामिल थीं। मंत्री ने कहा कि देशभर में दवाओं की गुणवत्ता और विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए कड़े नियामक कदम उठाए गए हैं, जिनका पूरा ब्यौरा संसद में प्रस्तुत किया गया है।
इसी दौरान डॉ. सिकंदर कुमार ने बायोमास ऊर्जा को बढ़ावा देने, व्यापार की सुगमता के लिए दिशा-निर्देशों में संशोधन, हिमाचल में वित्तपोषण बढ़ाने तथा शुद्ध शून्य उत्सर्जन के लक्ष्य को लेकर भी सवाल पूछा। इसका उत्तर देते हुए नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा एवं विद्युत राज्य मंत्री श्रीपाद येसो नाईक ने बताया कि मंत्रालय ने ऊर्जा क्षेत्र में सुधार और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए कई अहम संशोधन किए हैं। हालांकि, हिमाचल प्रदेश में बायोमास ऊर्जा परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण बढ़ाने का कोई प्रस्ताव सरकार को प्राप्त नहीं हुआ है।
मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय जैव ऊर्जा कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्रीय वित्तीय सहायता के माध्यम से देशभर में बायोमास आधारित संयंत्र, ब्रिकेट/पैलेट निर्माण संयंत्र और संपीड़ित बायोगैस संयंत्रों की स्थापना को बढ़ावा दिया जा रहा है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय फसल अवशेष प्रबंधन योजना के अंतर्गत किसानों को प्रोत्साहन देता है, वहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी पैलेटाइजेशन और टोरिफिकेशन संयंत्रों की स्थापना के लिए एकमुश्त सहायता प्रदान कर रहा है।