प्रदेश सरकार की ओर से योजनाओं के तहत करीब 50 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। इससे एम्स बिलासपुर में सर्जरी में काम आने वाली जरूरी सामग्री और उपकरणों की सप्लाई रुक गई है।
एम्स बिलासपुर में इलाज के लिए आ रहे हिमकेयर और आयुष्मान भारत योजना के लाभार्थी बड़ी सर्जरी से वंचित हो गए हैं। कूल्हे और घुटने को बदलने जैसी महंगी सर्जरी पिछले कई दिनों से ठप हो गई हैं। योजनाओं में जो वेंडर सामान की आपूर्ति करते हैं, उन्होंने सामान देना बंद कर दिया है। एम्स में मरीज जब जांच के बाद डॉक्टर से ऑपरेशन की तारीख पूछते हैं तो जवाब मिल रहा है कि सामान आएगा तो आपको सूचित करेंगे।
एम्स के ऑर्थोपेडिक्स विभाग में ही हर माह 25 से 30 घुटने और कूल्हे की रिप्लेसमेंट सर्जरी होती है। जिनका खर्च हिमकेयर या आयुष्मान भारत योजना से कवर होता है। अब मरीजों को परामर्श मिल रहा है, जांच हो रही है, लेकिन ऑपरेशन नहीं हो रहे। मरीजों का कहना है कि योजनाओं से इनका सर्जरी का खर्च न के बराबर होगा। योजना का लाभ न मिला तो सर्जरी का खर्च लाखों में जाएगा। दरअसल, प्रदेश सरकार की ओर से योजनाओं के तहत करीब 50 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। इससे अस्पताल में सर्जरी में काम आने वाली जरूरी सामग्री और उपकरणों की सप्लाई रुक गई है। स्वास्थ्य सचिव एम सुधा देवी ने कहा कि इस बारे में उनके पास कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। विशेष सचिव ही इसकी जानकारी दे पाएंगे।
अस्पताल परिसर की अमृत फार्मेसी से भी अब पूरी सप्लाई नहीं हो पा रही। पुराने वेंडर ने बकाया राशि न मिलने पर सामान भेजना बंद कर दिया है। नया वेंडर तलाशा जा रहा है, लेकिन वह भी बिना अग्रिम भुगतान सप्लाई को तैयार नहीं। एम्स प्रबंधन ने एक महीने पहले दिशा समिति की बैठक में भी यह मुद्दा प्रमुखता से उठाया था, लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ। फार्मेसी और सर्जरी सामग्री की सप्लाई ठप है, पर सरकार ने अभी तक भुगतान की फाइल तक आगे नहीं बढ़ाई।
हमने राज्य सरकार को कई बार लिखित रूप से स्थिति से अवगत कराया है। देनदारी चुकता हो तो सप्लाई सामान्य हो सकती है, लेकिन भुगतान न होने से हम असहाय हैं। 50 करोड़ का भुगतान लटका है। वेंडरों ने सामान की आपूर्ति बंद कर दी है। एम्स को योजनाओं के तहत सेवाएं नियमित करने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है ‘