हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से लिए च्यूइंग (चबाने वाले) तंबाकू उत्पाद के तीन सैंपल की पहली बार सफल जांच हुई है। नई दिल्ली के द्वारिका लैब की रिपोर्ट में तंबाकू के तीन सैंपल में निकाेटीन और मैग्नीशियम कार्बोनेट निकला है। प्रदेश सरकार की अधिसूचना के अनुसार खाद्य सामग्री में निकोटिन और मैग्नीशियम कार्बोनेट का इस्तेमाल करना प्रतिबंधित है। तंबाकू उत्पाद के पैकेट में निकोटिन और मैग्नीशियम कार्बोनेट के इस्तेमाल होने की जानकारी नहीं लिखी थी। अब खाद्य सुरक्षा विभाग ने इस मामले में कार्रवाई शुरू कर दी है। निकोटिन और मैग्नीशियम कार्बोनेट का सेवन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। इसे देखे हुए इसे खाद्य पदार्थों में इसे डालना प्रतिबंधित किया गया है। मंडी खाद्य सुरक्षा विभाग ने बीते दिनों सरकाघाट क्षेत्र में निरीक्षण किया। इस दौरान तीन चबाने वाले तंबाकू उत्पाद के सैंपल भरे गए। इन्हें जांच के लिए फिकी रिसर्च एनेटिसिस सेंटर द्वारिका नई दिल्ली को भेजा गया। जांच रिपोर्ट में इसमें निकोटिन और मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया गया। रिपोर्ट मिलने के बाद खाद्य सुरक्षा विभाग ने नोटिस जारी कर दिए हैं। मौके पर विभागीय अधिकारियों ने इस तरह के तंबाकू उत्पाद को जब्त भी किया है। इससे पहले भी खाद्य सुरक्षा विभाग ने मंडी में तंबाकू उत्पादों के सैंपल भरे थे। इन्हें कंडाघाट स्थित लैब में जांच के लिए भेजा गया, लेकिन यहां इस प्रकार के उत्पाद की जांच के लिए उपकरण न होने का हवाला देते हुए जांच सिरे नहीं चढ़ पाई। अब दोबारा खाद्य सुरक्षा विभाग ने तंबाकू उत्पाद के सैंपल भरे हैं। एफएसएसएआई के प्रावधानों के अनुसार प्रतिबंधित उत्पाद बेचने पर दो साल तक कैद और दो लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है। इन उत्पाद की सफल जांच के बाद हिमाचल के इतिहास में एक और नया अध्याय जुड़ गया है। अब इन उत्पादों की भी नियमित तौर पर जांच का मार्ग प्रशस्त हो गया है। इससे पहले मंडी से सब्जी और फलों के सैंपल भी भेजे थे। इनकी जांच महाराष्ट्र स्थित लैब में करवाई गई थी।