हिमाचल के मंदिरों में सदियों से जमा सोना-चांदी के सिक्के बनाए जाएंगे। प्रदेश के मंदिरों में करीब 6 क्विंटल सोना और 234 क्विंटल चांदी जमा है। ये सिक्के श्रद्धालुओं को बेचे जाएंगे। सिक्कों से आने वाला पैसा मंदिर न्यासों के पास रहेगा। बांड और कई अन्य विकल्प भी है मंदिर न्यास के पास रहेंगे। न्यास को इसके लिए पहले सरकार से मंजूरी लेना होगी। सिक्कों से प्राप्त राशि का इस्तेमाल न्यास मंदिरों में दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को और बेहतर सुविधाएं देने के लिए कर सकेंगे। इसके लिए सुक्खू सरकार ने वर्ष 1986 में बने नियम संशोधित कर दिए हैं और मंगलवार को अधिसूचित किया गया। खराब अर्थव्यवस्था के चलते राज्य सरकार ने मंदिरों में जमा सोना और चांदी का उचित उपयोग करने का निर्णय लिया है। हिमाचल प्रदेश सार्वजनिक धार्मिक संस्था और पूर्त विन्यास (संशोधन) नियम की अधिसूचना जारी करते हुए सरकार ने इसमें प्रावधान किए हैं। वर्ष 1986 के बनाए नियमों को भी वापस ले लिया है। सरकार के अधिग्रहण वाले मंदिरों के न्यास प्रमुख उपायुक्त या अन्य अधिकारी होते हैं तो वे इससे संबंधित प्रस्ताव सरकार को देंगे। मंदिर न्यासों को राज्य सरकार को 10 साल की आय का ब्योरा देना होगा। किस मंदिर के पास कितना सोना-चांदी
मंदिर सोना चांदी
चिंतपूर्णी मंदिर ऊना 2.10 क्विंटल 77.54 क्विंटल
बाबा बालकनाथ दियोटसिद्ध 24.89 किलो 3.17 क्विंटल
श्री नयनादेवी बिलासपुर 2.10 क्विंटल 82.45 क्विंटल
ज्वालाजी, कांगड़ा 47.94 किलो 18.97 क्विंटल
चामुंडा नंदिकेश्वर कांगड़ा 19.62 किलो 7.36 क्विंटल
बज्रेश्वरी माता मंदिर कांगड़ा 36 किलो 13.45 क्विंटल
भीमाकाली मंदिर सराहन 12.12 किलो 6.73 किलो