हिमाचल प्रदेश की कांगड़ी बोली का आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) की मदद से हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद संभव हुआ है। एनआईटी हमीरपुर के शोधार्थियों और विशेषज्ञों ने इसमें सफलता हासिल की है। एडवांस्ड कंप्यूटर की मदद से कांगड़ी बोली के अनुवाद के लिए एक मॉडल विकसित किया है। हिमाचल प्रदेश भाषा एवं संस्कृति विभाग ने भी इस प्रोजेक्ट में मदद की है। प्रथम चरण में दो लाख कांगड़ी वाक्यों का अनुवाद किया गया है। इस मॉडल को तैयार करने में एनआईटी के इन विशेषज्ञों को दो साल का वक्त लगा है। एआई की मदद से एडवांस्ड कंप्यूटर पर प्रोग्रामिंग कर यह मॉडल विकसित किया गया है, जल्द ही एप बनाने का कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा। इससे आम लोग भी एप का इस्तेमाल कर कांगड़ी का हिंदी और अंग्रेजी में अनुवाद कर सकेंगे। एआई तकनीक के आधार पर तैयार इस मॉडल में प्रथम चरण में कांगड़ी बोली के दो लाख वाक्यों को फीड किया गया है। इस संग्रह में और अधिक वृद्धि की जाएगी। एनआईटी हमीरपुर के इलेक्ट्राॅनिक्स एवं कंप्यूटर इंजीनियरिंग विभाग के सहायक प्रोफेसर पी डेनियल के निर्देशन में पीएचडी स्कॉलर श्वेता चौहान और शेफाली ने इस मॉडल को विकसित किया है। प्रोजेक्ट में एनआईटी के बीटेक और एमटेक के कई विद्यार्थियों ने सहभागिता सुनिश्चित की है। हमीरपुर निवासी शोधार्थी श्वेता चौहान को कांगड़ी बोली के संर्वद्धन का कार्य करने पर भाषा एवं संस्कृति विभाग ने वूमेन पावर अवार्ड से पुरस्कृत भी किया है। पी डेनियल व श्वेता चौहान का कहना है कि भाषा एवं संस्कृति विभाग का इस प्रोजेक्ट के निर्माण में योगदान रहा है। यूडी टैग उपलब्ध करवाने में शिक्षकों भूपेंद्र भूपी और राजीव त्रिगर्ती ने अहम मदद की है। उन्होंने कहा कि कांगड़ी बोली के लेखकों की मदद से दो लाख वाक्यों का संग्रह विकसित किए मॉडल में फीड किया गया। यूडी टैग प्लेटफार्म पर पर किया काम
एनआईटी के इन शोधार्थियों ने यूडी टैग प्लेटफार्म पर भी कार्य किया है। कांगड़ी बोली के 300 वाक्यों के टैग यूडी प्लेटफार्म पर दर्ज किए गए हैं, जिससे कांगड़ी बोली के संज्ञा और सर्वनाम की तकनीक के सहारे एप और अन्य सिस्टम में इस्तेमाल किया जा सकेगा। एआई की मदद से कांगड़ी बोली के वाक्यों के संग्रह को इस तकनीक के सहारे अधिक सरलता से इस्तेमाल किया जा सकेगा।