परीक्षा परिणामों में गड़बड़ियों के कारण लगातार चर्चा में रहे हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) की एक और लापरवाही सामने आई है। एमए इतिहास चौथे सेमेस्टर की जून में हुई परीक्षा में बैठे कई प्राइवेट उम्मीदवारों को पहले पास कर दिया, लेकिन बाद में यह कहकर फेल कर दिया कि उन्होंने वैकल्पिक विषय सही नहीं चुने थे। 13 नवंबर को विवि ने परिणाम जारी किया। 22 नवंबर को विद्यार्थियों ने अपनी लॉगइन आइडी से विवि वेबसाइट से अंक तालिका डाउनलोड की। कुछ दिन बाद अंक तालिका हटा दी गई। विवि की ओर से तर्क दिया गया कि जिन विद्यार्थियों ने वैकल्पिक विषय सही नहीं चुने थे, उनके रिजल्ट हटा दिए गए। अब उन्हें सही विषय चुनकर दोबारा फार्म भरकर परीक्षा देनी होगी। इसको लेकर विद्यार्थियों में रोष है। उनका कहना है कि अगर वैकल्पिक विषय गलत चुने गए थे, तो ऑनलाइन फार्म भरने पर कैसे उन्हें मंजूर किया गया। अगर विषय गलत थे तो उसी समय फार्म रिजेक्ट करने चाहिए थे। यह उनके साथ धोखा है। सीधे तौर पर छात्र इसे विवि की व्यवस्थागत खामी बता रहे हैं। उनका कहना है कि विवि को प्राइवेट अपीयर होने वाले विद्यार्थियों के लिए समय रहते सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन को लेकर दिशा निर्देश सार्वजनिक रूप से जारी करने चाहिए थे। समय पर इसकी जानकारी न दिए जाने से उनका इन दिनों चल रही पीजी परीक्षा देने का मौका भी हाथ से जाता रहा है, इसके लिए पूरी तरह से विवि प्रशासन जिम्मेदार है। ऐसी खामियों को विवि को दूर करना चाहिए और प्राइवेट विद्यार्थियों को विषय चुनने को लेकर ऑनलाइन फार्म भरने के समय उचित मार्गदर्शन करना चाहिए। विद्यार्थियों का कहना है कि इस कारण उन्हें दो-दो बार फीस देनी पड़ रही है, वहीं परीक्षा भी दो बार देनी पड़ रही है।