शिमला, किन्नौर, कांगड़ा और सिरमौर के कुछ क्षेत्रों में किए सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन 10 से 24 साल के 2,895 बच्चों, किशोरों और युवाओं पर किया गया।
अत्याधुनिकता के प्रभाव में प्रदेश के कई किशोर भटकने लगे हैं। चिंतित करने वाली चेतावनी एक अध्ययन में सामने आई है। किशोर न केवल उम्र से पहले यौन संबंध बना रहे हैं, बल्कि नामसमझी के कारण एहतियात भी नहीं बरत रहे। इससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ ही रहा है, बल्कि वे यौन रोगों की चपेट में भी आ सकते हैं। शिमला, किन्नौर, कांगड़ा और सिरमौर के कुछ क्षेत्रों में किए सर्वेक्षण में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। अध्ययन 10 से 24 साल के 2,895 बच्चों, किशोरों और युवाओं पर किया गया। चारों जिलों से तीन-तीन ब्लॉक चुने गए। सर्वेक्षण को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज बंगलूरू ने किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के किशोर स्वास्थ्य डिविजन और राज्य स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय ने इसमें सहयोग किया है।
संस्थानों के डॉ. प्रदीप बनांदुर, डॉ. गुरुराज गोपालकृष्णा, डॉ. जोया रिजवी और डॉ. गोपाल बेरी ने चौंकाने वाली बातें सामने लाई हैं। सर्वेक्षण के अनुसार 2,895 में से 344 किशोरोें और युवाओं ने कभी न कभी यौन संबंध जरूर बनाए, जो अध्ययन में शामिल हुए किशोरों-युवाओं का 11.88 फीसदी थे। इनमें 219 लड़के और 125 लड़कियां थीं। 15 साल तक की आयु के 13 बच्चे भी थे, जिनमें 10 लड़के और तीन लड़कियां थीं। यह हैरान कर देने वाली बात है। इनमें कभी न कभी यौन संबंध बनाने वाले 15 से 18 साल के 133 किशोर थे। 94 लड़कियां और 39 लड़के थे। 19 से 21 वर्ष के ऐसे 156 युवा थे। इनमें 95 लड़कियां व 61 लड़के थे। 21 साल से अधिक उम्र के 42 युवा थे, जिनमें से 20 लड़के और 22 लड़कियां थीं।
12 महीनों में किसने कितने पार्टनर बदले, इस पर भी सर्वेक्षण हुआ। छह ने कहा कि इनका इस बीच कोई पार्टनर नहीं था। ऐसा कहने वाले पांच लड़के और एक लड़की थी। 264 का एक-एक पार्टनर था। 55 के दो-दो पार्टनर थे। 19 के तीन पार्टनर थे। 1,092 ने स्वीकारा कि उन्होंने गर्भ निरोधक सामग्री देखी है। 70 किशोरों और युवाओं ने कहा कि उन्होंने बहुत कम या कभी नहीं ऐसी सामग्री का इस्तेमाल किया। 143 ने कहा कि उन्होंने हमेशा इस्तेमाल किया। जबकि 84 ने कहा कि कभी-कभी ही इस्तेमाल किया।
किशोरों और युवाओं को यौन स्वास्थ्य पर जानकारी देने वाली सबसे महत्वपूर्ण कड़ी 1393 के पास स्कूल शिक्षक थे, जबकि 970 के पास माता और 532 के पास अन्य रहे हैं। डॉ. गोपाल बेरी ने बताया कि यह सर्वेक्षण निस्संदेह चौंकाता है।
नशे और यौन का घालमेल चिंताजनक
समाजशास्त्री दिनेश शर्मा ने बताया कि सूचना क्रांति के युग में इंटरनेट पीढ़ी यौन उन्मुक्तता की ओर बढ़ रही है। एकल परिवार बढ़ने से अभिभावकों, नातेदारों का बच्चों पर नियंत्रण कम हुआ है। कामकाजी अभिभावक बच्चों को समय नहीं दे पा रहे हैं। स्कूली पाठ्यक्रम में ठीक से यौन शिक्षा का समावेश नहीं हो पाया। यौन शब्दावली और व्यवहार समाज में टैबू होने के कारण इस पर मित्र समूह के अलावा बात भी नहीं होती।