बागवानों को उम्मीद है कि पौधों के लिए जरूरी चिलिंग ऑवर्स अब जल्द पूरे हो जाएंगे। समय से बर्फबारी होने पर नवंबर से ही चिलिंग ऑवर्स शुरू हो जाते थे और जनवरी तक पूरे होते थे।
बर्फबारी के बाद अब सेब बगीचों में चिलिंग ऑवर्स जल्द पूरे होने की उम्मीद बंधी है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बीते सप्ताह बर्फबारी हुई है। सेब और गुठलीदार फलों के बगीचों में अभी भी बर्फ है। इससे पहले तीन महीनों से बारिश और बर्फबारी न होने पर सूखे के कारण बागवानों की परेशानी बढ़ गई थी। सूखे से बागवानों को फसल प्रभावित होने की चिंता सता रही थी। बागवानों को उम्मीद है कि पौधों के लिए जरूरी चिलिंग ऑवर्स अब जल्द पूरे हो जाएंगे।
समय से बर्फबारी होने पर नवंबर से ही चिलिंग ऑवर्स शुरू हो जाते थे और जनवरी तक पूरे होते थे। इस साल सूखे के कारण चिंलिंग ऑवर्स की प्रक्रिया देरी से शुरू हुई है। प्रदेश में सेब का 6,000 करोड़ रुपये का कारोबार है। 4 लाख से ज्यादा बागवान सेब पर निर्भर हैं। बर्फबारी होने से सेब के बगीचों में लगने वाले वूली एफिड, कैंकर समेत अन्य रोगों पर भी प्राकृतिक रूप से नियंत्रण होगा।
चिलिंग ऑवर्स क्यों है जरूरी
सेब सहित अन्य गुठलीदार फलों की अच्छी फसल के लिए सर्दियों में सुप्तावस्था के दौरान निर्धारित घंटों के लिए न्यूनतम तापमान 7 डिग्री या इससे कम होना जरूरी होता है। 7 डिग्री या कम तापमान होने पर पोषक तत्व मार्च, अप्रैल में गर्मी बढ़ने के साथ पौधे में समान रूप में फैलते हैं जिससे अच्छी फ्लावरिंग होती है और फसल अच्छी लगती है। चिलिंग ऑवर्स की आवश्यकता 700 से 1200 घंटों तक रहती है।
बर्फबारी के बाद सेब और गुठलीदार फलों के पौधों के लिए जरूरी चिलिंग ऑवर्स पूरे हो जाएंगे। लंबे समय से बारिश और बर्फबारी न होने के कारण बगीचों में नमी की कमी हो गई थी जो अब दूर होगी और पौधों को मजबूती मिलेगी।