प्रदेश के के उद्योगपति बजट में सरकार से टैक्स में कटौती और बिजली शुल्क वापस लेने की घोषणा की आस लगाए बैठे हैं।
हिमाचल प्रदेश के के उद्योगपति बजट में सरकार से टैक्स में कटौती और बिजली शुल्क वापस लेने की घोषणा की आस लगाए बैठे हैं। नए उद्योग स्थापित करने के लिए सरकार से प्रोत्साहन की घोषणा की उम्मीद है। गत्ता उद्योग से जुड़े उद्योगपति जीएसटी में छूट तो लघु उद्योग संचालक सरकार से छोटे प्लाॅट उपलब्ध करवाने की मांग कर रहे हैं। उद्योगपति बजट में औद्योगिक क्षेत्रों के लिए बेहतर कनेक्टिविटी की मांग कर रहे हैं। औद्योगिक क्षेत्रों के लिए रेल संपर्क की सुविधा उपलब्ध करवाने की जरूरत है ताकि ट्रांसपोटेशन का खर्चा कम हो सके।
औद्योगिक क्षेत्रों को हेलीपोर्ट सुविधा से जोड़ कर आवाजाही को सुगम बनाया जाना चाहिए। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार से औद्योगिक नीति में बदलाव की उम्मीद लगाए बैठे हैं। औद्योगिक घराने सरकार से प्रदेश में माइक्रो, सूक्ष्म व लघु उद्यमियों के लिए बिजली की दरें अलग अलग निर्धारित करने की भी मांग उठा रहे हैं। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू प्रदेश में उद्योगों को बढ़ावा देने और निवेश बढ़ाने के लिए दुबई का दौरा भी कर चुके हैं।
बिजली ड्यूटी ने उद्योगों की परेशानी बढ़ाई
इलेक्टि्रसिटी ड्यूटी ने उद्योगपतियों की परेशानी बढ़ा दी है। उद्योगों को पर्याप्त बिजली भी नहीं मिल रही। उम्मीद है मुख्यमंत्री बजट में इलेक्टि्रसिटी डयूटी वापस लेने और उद्योगों को पूरी बिजली देने की घोषणा करेंगे। हालात इतने गंभीर हैं कि उद्योगपति अगर जनरेटर लगाते हैं तो उस पर भी ड्यूटी लगाई जा रही है, सोलर सिस्टम लगाने पर भी टैक्स लगाए जा रहे है।– राजीव अग्रवाल, अध्यक्ष बीबीएनआईए
भारी भरकम टैक्स को वापस ले सरकार
सरकार ने उद्योगों पर जो भारी भरकम टैक्स थोपे हैं उन्हें तुरंत वापस लिया जाए। बिजली बोर्ड सवा दो फीसदी बिजली की दरों में बढ़ोतरी करने की बात कर रहा है, ऐसा नहीं होगा मुख्यमंत्री इसे लेकर आश्वस्त करें। बिजली की दरें बढ़ गई तो यहां बिजली अन्य राज्यों से महंगी हो जाएगी। महंगी बिजली से नुकसान के अंदेशे से उद्योग पलायन करने को मजबूर हो जाएंगे।– शैलेष अग्रवाल, मुख्य सलाहकार बीबीएनआईए
पेपर मिलों ने कच्चे माल के रेट 25 फीसदी बढ़ा दिए हैं। जिससे प्रदेश के गत्ता उद्योग पर संकट के बादल मंडराए हुए है। बजट में इसे कम करने के लिए विशेष प्रावधान हो। फलों के डिब्बों से जीएसटी कम की जाए। जीएसटी लगने से उद्योगपति तो उसे रिफंड कर लेते है लेकिन बागवान उसे वापस नहीं लेते और जीएसटी के चलते उन्हें महंगा डिब्बा मिल रहा है।
लघु उद्योग किराये के भवन में चल रहे हैं। सरकार ने उद्योगों के लिए लैंड बैंक बनाया है। लेकिन उसमें लघु उद्योगों के लिए कोई भी प्रावधान नहीं है। लघु उद्यमी मायूस है। लघु उद्योगों को भी सरकार की प्लाॅट आवंटित हो जिससे वह अपना कारखाना अपनी जमीन पर लगा सके। लघु उद्योग इलेक्टि्रसिटी ड्यूटी से पहले ही परेशान हैं।