शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने प्रारंभिक और उच्च शिक्षा निदेशक सहित समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशालय को इस बाबत निर्देश जारी किए हैं।
हिमाचल के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षक अब डाक लेकर शिक्षा निदेशालय या सचिवालय नहीं जाएंगे। शिक्षकों की अनुपस्थिति से स्कूलों में प्रभावित हो रही पढ़ाई के चलते सरकार ने यह फैसला किया है। शिक्षकों से लिए जा रहे गैर शिक्षण कार्यों का बोझ सरकार ने कुछ कम कर दिया है। अधिकारियों को वेबसाइट से जानकारी लेने के निर्देश देते हुए शिक्षकों को डाटा के साथ बुलाने पर भी रोक लगा दी है।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने प्रारंभिक और उच्च शिक्षा निदेशक सहित समग्र शिक्षा अभियान के परियोजना निदेशालय को इस बाबत निर्देश जारी किए हैं। निदेशालय की सभी शाखाओं और सचिवालय में शिक्षा विभाग से जुड़ी शाखाओं के अधिकारियों को भी आदेशों की पालना करने को कहा है। निर्देशों में साफ कहा है कि शिक्षकों से किसी भी तरह की अनावश्यक जानकारियां मांगने के लिए पत्र जारी न किया जाए। यू डाइस रिपोर्ट और समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशालय की वेबसाइट पर शिक्षकों व स्कूलों से जुड़ी हर जानकारी उपलब्ध है।
अधिकारी यहां से डाटा जुटा सकते हैं। मात्र औपचारिकता निभाने को पत्राचार बंद किया जाना चाहिए। आरटीआई या फिर कोर्ट केस को लेकर कई बार निदेशालय या सचिवालय से पत्र संबंधित स्कूल या शिक्षक को जारी कर दिया जाता है। जबकि यह रिकाॅर्ड भी वेबसाइट पर उपलब्ध है। शिक्षकों को ऐसे कामों में लगा उनका समय बर्बाद किया जा रहा है। इससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है।
शिक्षकों की निदेशालय या सचिवालय में डाक लेकर जाने की ड्यूटी पर भी रोक लगा दी गई है। अधिक आवश्यक होने पर प्रिंसिपल या हेडमास्टर को लिखित में आदेश निकालकर शिक्षकों को भेजने के लिए कहा है। नियमों का पालन नहीं होने की स्थिति में संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई के प्रति भी चेताया है। विधानसभा की कार्यवाही से संबंधित जानकारी को शिक्षक ईमेल या वॉट्सएप के माध्यम से भी उपलब्ध करवा सकते हैं। निदेशालय या सचिवालय के चक्कर काटने की जरूरत नहीं है।