पीडब्ल्यूडी के 150 करोड़ रुपए के 23 पुल ग्रामीण विकास मंत्रालय में फंस गई हैं। मंजूरी न मिल पाने की वजह से इनके निर्माण में देरी की संभावना बनी हुई है। परियोजनाओं के फंसने से पीडब्लयूडी को बड़ा झटका लग सकता है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आदर्श आचार संहिता लागू होती है तो इनकी टेंडर प्रक्रिया केंद्र सरकार के दोबारा गठन और मंत्रालयों के वितरण के बाद होगी, यानी छह महीने से ज्यादा की देरी हो सकती है।
इस दौरान प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना यानी पीएमजीएसवाई की जिन सडक़ों पर पुलों का निर्माण होना है, वे भी पूरी नहीं हो पाएंगी। पीडब्लयूडी ने 150 करोड़ रुपए के 23 पुलों के निर्माण का प्रस्ताव केंद्र को भेजा है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हिमाचल में 2600 करोड़ रुपए की पीएमजीएसवाई योजना को मंजूरी दी है। इस मंजूरी से प्रदेश भर के ग्रामीण इलाकों में सडक़ों का निर्माण होना है। खास बात यह है कि पीडब्लयूडी ने शुरुआत में सडक़ों का प्रस्ताव केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय को भेजा था।
केंद्र सरकार ने पीएमजीएसवाई को मंजूरी दे दी और इसके बाद प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में सडक़ों का निर्माण भी शुरू हो गया है, लेकिन इस मंजूरी में वो पुल शामिल नहीं हैं, जो सडक़ों को आपस में जोड़ेंगे। पीडब्ल्यूडी ने इन पुलों के लिए अलग से एक अन्य प्रस्ताव केंद्र सरकार को सौंपा है, लेकिन करीब तीन महीने गुजर जाने के बावजूद मंजूरी नहीं मिल पाई है। इससे भविष्य में पुलों के साथ ही सडक़ निर्माण में भी देरी होने की संभावना बन गई है।
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख अभियंता अजय गुप्ता ने बताया कि सडक़ों के निर्माण को लेकर सभी प्राथमिकताएं तय कर ली गई हैं। 2600 करोड़ रुपए के निर्माण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन पुलों की मंजूरी अभी तक नहीं मिल पाई है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की मंजूरी के बाद पुलों के निर्माण की औपचारिकताएं प्रदेश में की जाएंगी और इसके बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना में इन पुलों का निर्माण होगा।