प्रदेश में बल्क ड्रग फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क सरकार अपनी शर्तों पर ही बनाएगी। सीएम सुक्खू ने यह कहते हुए कि पिछली सरकार ने हिमाचल प्रदेश के हितों को बेचने का काम किया है।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा है कि हिमाचल प्रदेश में बल्क ड्रग फार्मा पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क सरकार अपनी शर्तों पर ही बनाएगी। सीएम सुक्खू ने यह कहते हुए कि पिछली सरकार ने हिमाचल प्रदेश के हितों को बेचने का काम किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों पार्कों के लिए जमीन एक रुपये की लीज पर दी गई।
पानी और बिजली भी बहुत ही सस्ती दरों पर राज्य सरकार को ही मुहैया करवाना है। उन्होंने कहा कि दोनों ही पार्क बसेंगे, लेकिन इन्हें बसाने के लिए राज्य सरकार की अपनी शर्तें होंगी। इनके लिए अच्छी कंपनियों को लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें हिमाचल के हित देखने हैं। किसी भी पार्क को बंद करने की सरकार की कोई मंशा नहीं है। इससे पहले इस मुद्दे पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी नोकझोंक होती रही।
विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर गया
मुख्यमंत्री सुक्खू के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष नारेबाजी करने लगा और उसके बाद नारे लगाते हुए प्रश्नकाल के बाद सदन से बाहर चले गए। बुधवार को सदन में प्रश्नकाल के दौरान भाजपा विधायक बिक्रम सिंह ने बल्क ड्रक पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क पर प्रश्न किया।
इस पर उद्योग मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने कहा कि बल्क ड्रग पार्क और मेडिकल डिवाइस पार्क में बहुत सारी औपचारिकताएं पूरी जा रही हैं। भारत सरकार के मंत्रालय के पास दस्तावेज जमा किए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर के नियमों का अनुपालन किया जा रहा है। बिक्रम सिंह ने कहा कि अभी तक इस संदर्भ में इन्होंने किया ही कुछ नहीं है। कब तक बनेगा, जमीन का आवंटन कब तक होगा।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने ये कहा
इस पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के इतिहास में पहली बार यह प्रोजेक्ट मिला है। कोविड के हालात में प्रधानमंत्री ने निर्णय लिया है कि कैसे अपने पांव पर खड़े हों। तीन बल्क ड्रग्स फार्मा पार्क बनाने की बात हुई। हिमाचल जैसे छोटे राज्य को यह परियोजना ऐसे नहीं मिली है। इसके लिए अधिकारियों ने दिन-रात मेहनत की है। डेढ़ साल बाद भी सरकार यह तय नहीं कर पा रही कि यह राज्य सरकार को करना है किसी और को करना है। इसमें 20 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार भी मिलना है।
सीएम ने कहा कि मेडिकल डिवाइस पार्क में 400 एकड़ जमीन एक रुपये पर जमीन दी गई। मुफ्त में पानी देना है। तीन रुपये यूनिट पर बिजली भी देनी है। भारत सरकार ने इसे विकसित पर केवल 100 करोड़ रुपये देने हैं। उद्योग मंत्री इस पर काम कर रहे हैं। मेडिकल डिवाइस पार्क को अपनी शर्त पर विकसित करेंगे, जिसमें हिमाचल के हित होंगे। हरोली में 1400 एकड़ जमीन एक रुपये की लीज पर दी जानी है। इसमें भारत सरकार ने 1000 करोड़ देने हैं। डीपीआर बनेगी तो 923 करोड़ रुपये हिमाचल सरकार देगी। सात रुपये प्रति यूनिट बिजली खरीदी जा रही है। इसे तीन रुपये प्रति यूनिट देना है। दस साल तक जीएसटी की बात छोड़ दें। इस पर सदन में नारेबाजी शुरू हुई।
मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने ये कहा
इस पर मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान बोले कि बाहरी काम तो राज्य सरकार ने करना है। चाहे पानी है या बिजली है, यह प्रदेश सरकार को करना है। कार्यकारी एजेंसी को इसका बजट भी दे दिया गया है। इस परियोजना में जो भी करना है, वह तुरंत करना है। पार्क गुजरात और आंध्र प्रदेश को भी मिला है। इसमें स्पर्धा है। प्रदेश के कच्चे माल को लाना भी बहुत मुश्किल है। अगर चीन या अन्य देशों से सामग्री आएगी तो 50 ट्रक तो सॉलिड बेस्ड के होंगे। यह बहुत ही तकनीकी काम है। उम्मीद है कि उनकी मुख्यमंत्री से भी चर्चा हुई है। इस पर मंत्रिमंडल ही निर्णय लेगा|