भानुपल्ली-बिलासपुर रेल लाइन पर नई तकनीक रोकेगी हादसे, 54 करोड़ का पहला टेंडर जारी

Bhanupalli-Bilaspur Railway Line: First tender of Rs 54 crore issued for signal and telecommunication work.

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के लिए सिग्नल और दूरसंचार कार्य का 54 करोड़ रुपये का पहला टेंडर रेल विकास निगम ने जारी कर दिया है। 

भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी रेल लाइन के लिए सिग्नल और दूरसंचार कार्य का 54 करोड़ रुपये का पहला टेंडर रेल विकास निगम ने जारी कर दिया है। निगम ने 24 किलोमीटर के इस कार्य को पूरा करने के लिए 24 माह का लक्ष्य रखा है। अन्य ट्रैक की तरह इस ट्रैक पर ग्लूड ज्वांइट्स की जगह अत्याधुनिक तकनीक मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर (एमएसडीएसी) तकनीक इस्तेमाल होगी। भानुपल्ली थल्लु, धरोट, पहाड़पुर स्टेशन के ट्रैक कार्य के लिए दूसरा टेंडर अप्रैल 2024 में जारी और खोला जाएगा। पहले टेंडर में भानुपल्ली, थल्लु, धरोट और पहाड़पुर स्टेशन के सिग्नल और दूरसंचार कार्य किया जाएगा।

इस कार्य में अत्याधुनिक तकनीकों इलेक्ट्रॉनिक आधारित इंटरलॉकिंग सिस्टम, उच्च उपलब्धता वाले सिग्रल सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटरों के साथ दो स्टेशनों के बीच ट्रेन का पता लगाने के लिए यूनिवर्सल ब्लॉक इंटरफेस और मल्टी सेक्शन डिजिटल एक्सल द्वारा स्टेशन यार्ड में ट्रेन का पता लगाने के लिए ट्रैक सर्किटिंग का इस्तेमाल होगा। ट्रेनों की आवाजाही को तेज, सुरक्षित और परेशानी मुक्त बनाने के लिए सेक्शन डिजिटल एक्सल काउंटर स्थापित होंगे। इस क्षेत्र में घुमाव और टनलों के अंदर लोको पायलट के लिए आवश्यक सुरक्षा और उचित दृश्यता को पूरा करने के लिए सिग्नलिंग प्रणाली को सावधानीपूर्वक डिजाइन किया है। पूरा सेक्शन बिना जोड़ के चिपकाया जाएगा, जिससे ट्रैक की उम्र बढ़ेगी और यात्रियों को बेहतर सुविधा मिलेगी।

बतातें चलें कि इससे पहले ग्लूड ज्वांइट का उपयोग सिग्नलिंग के लिए किया जाता है। इस तकनीक से ट्रैक पर दोनों रेल्स पर कुछ जगह पर कट कर के फाइबर लगाया होता है। यह इसलिए लगाया होता है कि दोनों रेल्स में हमेशा एक में पॉजिटिव और एक में निगेटिव करंट फ्लो कर रहा होता है। रेल्स स्टील की होती है, इनमें करंट इसलिए फ्लो कराते हैं कि जब इस पर ट्रेन आएगी तो इस पर आने से ट्रेन का पहिया शॉर्ट सर्किट होता है। इससे सिग्नलिंग वालों को पता चलता है कि ट्रैक के इस जगह पहले से ट्रेन है। जब तक वहां से ट्रेन पास नहीं होती है, तब तक वह स्टेशन से दूसरी ट्रेन नहीं छोड़ते हैं, लेकिन यह ट्रैक के लिए ज्यादा सुरक्षित नहीं था। वअब ट्रैक को सुरक्षित रखने के लिए एमएसडीएसी का उपयोग किया जा रहा है। 

110 किलोमीटर प्रति घंटा होगी ट्रेन की गति
इस ट्रैक पर ट्रेन की 110 किमी प्रति घंटे की गति होगी। यह कार्य अनुभवी उप मुख्य सिग्नल एवं दूरसंचार इंजीनियर जीवन राम शर्मा के मार्गदर्शन और पर्यवेक्षण में किया जाएगा।

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