बोर्ड परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों को किस तरह प्रश्नपत्र को हल करना चाहिए और उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं, और विद्यार्थी परीक्षा के तनाव को कैसे कम कर सकते हैं। इस बारे में अमर उजाला ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भल्लाड़ में तैनात अंग्रेजी विषय के प्रवक्ता धर्मिंद्र कटोच से बात की।

हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड की ओर से एक मार्च से 12वीं और 2 मार्च से दसवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षाएं करवाई जाएंगी। बोर्ड परीक्षाओं के दौरान विद्यार्थियों को किस तरह प्रश्नपत्र को हल करना चाहिए और उन्हें क्या सावधानियां बरतनी चाहिएं, और विद्यार्थी परीक्षा के तनाव को कैसे कम कर सकते हैं। इस बारे में अमर उजाला ने राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला भल्लाड़ में तैनात अंग्रेजी विषय के प्रवक्ता धर्मिंद्र कटोच से बात की। उन्होंने बोर्ड परीक्षाओं से संबंधित कई टिप्स दिए। उन्होंने बताया कि परीक्षार्थियों को परीक्षा तनाव रहित होकर देनी चाहिए। परीक्षा के दौरान कई प्रश्न ऐसे होते हैं, जिनमें शब्दों की संख्या दर्शाई होती है।
ऐसे में इन प्रश्नों के उत्तरों को अभ्यर्थियों को निर्धारित की गई शब्दों की संख्या के अनुसार ही देना चाहिए। इससे उनका समय बर्बाद नहीं होगा और अन्य प्रश्नों को हल करने में अपना समय दे सकेंगे। इसके अलावा प्रार्थना पत्र को लिखते समय परीक्षार्थियों को शुरू से लेकर बॉडी टैक्स तक ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि मल्टी च्वाइस क्वेशचन (एमसीक्यू) प्रश्नों के उत्तर देने से पूर्व दर्शाए गए पैराग्राफ को अगर परीक्षार्थी ध्यान से पढ़ें तो वह पूछे गए सभी प्रश्नों को हल कर पूरे अंक हासिल कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार परीक्षार्थियों से प्रदेश भर में
आई आपदा पर भी पैराग्राफ लिखने के लिए कहा जा सकता है। उन्हें इस ओर भी ध्यान देना चाहिए।
अच्छी नींद के साथ खाएं भरपेट खाना: डॉ. अनीता
क्षेत्रीय अस्पताल धर्मशाला में तैनात मनोचिकित्सक डॉ. अनीता ठाकुर ने बताया कि परीक्षा के दौरान परीक्षार्थियों को अच्छी नींद लेनी चाहिए और उन्हें भरपेट खाना खाना चाहिए। अकसर देखा गया है कि परीक्षा के दौरान बच्चे तनाव में आ जाते हैं और वह खाना और सोना छोड़ देते हैं। परीक्षा खत्म होने के बाद बच्चों के अभिभावक उनसे बात करें और उन्हें आगामी परीक्षाओं के लिए प्रोत्साहित करें। रिवीजन के लिए एक टाइम टेबल बनाएं और तनाव से दूर रहने के लिए निरंतर योग और व्यायाम करें। किसी भी समस्या पर अपने दोस्तों, अध्यापकों और अभिभावकों से बातचीत करें। इसके अलावा माता-पिता अपने बच्चों को उत्साहित करें और आभास करवाएं कि वे किसी भी परिस्थिति में उनके साथ खड़े हैं।