हिमाचल में घटे राजनीतिक घटनाक्रम पर कांग्रेस के ऑब्जर्वर की रिपोर्ट का मजमून सामने आते ही कांग्रेस संगठन में खलबली मच गई है। कांग्रेस का संकट सुलझाने दिल्ली से हिमाचल आए आब्जर्वर डीके शिवकुमार, भूपेंद्र हुड्डा और भूपेश बघेल ने हाईकमान को जो रिपोर्ट सौंपी, उसके अंश शुक्रवार को एक दैनिक अखबार में विस्तार से छापे गए हैं। इसके अनुसार सीएम सुक्खू विधायकों के क्रॉस वोट का कोई पूर्वानुमान नहीं लगा सके थे, जिसे एक गंभीर चूक माना गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हिमाचल में हुए राजनीतिक संकट के लिए कांग्रेस की ही प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी अन्य कारणों के साथ जिम्मेवार है। सुझाव दिया गया है कि प्रतिभा को लोकसभा के लिए फिर से मंडी से चुनाव में उतारना चाहिए, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष का पद किसी अन्य नेता को दे दिया जाना चाहिए। वहीं पर्यवेक्षकों ने अपनी रिपोर्ट में विक्रमादित्य सिंह के मंत्री होने के बावजूद संकट के समय सरकार के खिलाफ प्रेस वार्ता करने को भी घोर अनुशासनहीनता बताया। रिपोर्ट में यह भी जिक्र है कि कई प्रमुख नेताओं को संदेह है कि विक्रमादित्य पर आने वाले समय में कांग्रेस कितना भरोसा कर सकती है। रिपोर्ट में सीएम सुक्खू को बदलने पर पर्यवेक्षकों ने लिखा है कि मुख्यमंत्री बदलना ठीक नहीं होगा क्योंकि भाजपा सरकार गिराकर लोकसभा के साथ ही दोबारा चुनाव करने की योजना बना रही थी। रिपोर्ट में भाजपा द्वारा सरकार गिराने और क्रॉस वोट करने के लिए विधायकों को प्रलोभन दिए जाने का भी जिक्र है। पर्यवेक्षकों ने 12 के करीब असंतुष्ट विधायकों को पद देकर एडजस्ट करने की सिफारिश की है, वहीं भविष्य में बेहतर समन्वय के लिए एक समिति बनाने का भी सुझाव दिया है।
रिपोर्ट के सामने आते ही एक बार फिर से कांग्रेस की राजनीति में भूचाल आ गया है। जानकारों का मानना है कि बागी विधायकों के मामले के अलावा कांग्रेस के अंदर भी अभी काफी कुछ बदलने वाला है। पर्यवेक्षकों ने सीएम को न बदलने की सिफारिश की है तो वहीं अब कयास लगाए जा रहे हैं कि जल्द ही कांग्रेस संगठन में भी फेरबदल हो सकता है। वैसे लोकसभा चुनावों के एकदम सर पर होने के चलते कांग्रेस कोई भी बड़ा कदम एकदम उठाने से गुरेज करेगी, लेकिन यह तय है कि आने वाले समय में होने वाले बड़े बदलावों की पटकथा इस दल-बदल वाले एपिसोड के साथ ही लिखी जा चुकी है।