बी पॉलन फूलों के परागकणों के ढेर को कहा जाता है। जब मधुमक्खी फूलों से रस एकत्रित करती है तो उसी दौरान उसके पैरों पर परागकण लग जाते हैं।
पोषक तत्वों की कमी से जूझ रहे लोगों के लिए बी पॉलन यानी फूलों के परागकण किसी वरदान से कम नहीं हैं। मंडी के इंदिरा मार्केट की छत्त पर लगे सरस मेले में बी पाॅलन हाथोंहाथ बिक रहा है। इसके साथ ही यहां देसी शहद भी मिल रहा है। मुधमक्खियां शहद के अलावा एक और उत्पाद बी पॉलन भी तैयार करती हैं। यह शहद से कई गुना महंगा होता है।
क्या होता है बी पॉलन
बी पॉलन फूलों के परागकणों के ढेर को कहा जाता है। जब मधुमक्खी फूलों से रस एकत्रित करती है तो उसी दौरान उसके पैरों पर परागकण लग जाते हैं। जब यह मधुमक्खी वापस छत्ते पर आती हैं तो उससे पहले पॉलन गेट लगा दिया जाता है, जिससे गुजरने की जगह बहुत ही कम होती है। जब मधुमक्खी उस गेट से गुजरने का प्रयास करती हैं तो उसके पैरों चिपके परागकण नीचे गिर जाते हैं।
बी पॉलन से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और लीवर का उपचार होता है। मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। वजन कम करने में मदद करता है। जले हुए घावों को ठीक करने के अलावा शरीर में ट्यूमर को फैलने से रोकता है।
अमन ठाकुर ने बताया कि बी पॉलन का दाम 1,500 से दो हजार रुपये प्रति किलो है। लोगों की सुविधा के लिए उन्होंने छोटी पैकिंग भी उपलब्ध करवाई है। इसमें 200 और 500 रुपये की पैकिंग लोगों को काफी भा रही है। वे इसे खरीद रहे हैं। सरस मेले में बहुत से लोग उनके पास आकर इस उत्पाद की जानकारी भी ले रहे हैं। इसे खरीद भी रहे हैं। उनके पास देसी शहद भी है जिसे इन्होंने खुद पाली मधुमक्खियों से लिया है।
सरस मेले में लगाया स्टॉल
नारी शक्ति ग्राम संगठन अंबोटा की तरफ से सरस मेले में बी पॉलन और देसी शहद की बिक्री का स्टाल लगाया है। मधुमक्खी पालक अमन ठाकुर ने बताया कि वह भाई रोहित के साथ 15 वर्षों से इस कार्य को ऊना और शिमला में कर रहे हैं। कई लोग इसका सेवन करने के बाद दोबारा इसके इस्तेमाल के लिए उनके पास संपर्क करते हैं।