कांग्रेस के इन बागियों के दम पर राज्यसभा चुनाव में परचम लहराने वाली भाजपा ने उन्हें साथ होने का हौसला तो बंधाया और केंद्रीय सुरक्षा भी मुहैया करवाई लेकिन बागियों को पार्टी टिकट की भी उम्मीद है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब अयोग्य ठहराए गए छह विधायकों का समायोजन भाजपा के लिए आसान नहीं रहेगा। कांग्रेस के इन बागियों के दम पर राज्यसभा चुनाव में परचम लहराने वाली भाजपा ने उन्हें साथ होने का हौसला तो बंधाया और केंद्रीय सुरक्षा भी मुहैया करवाई लेकिन बागियों को पार्टी टिकट की भी उम्मीद है। उधर इन अयोग्य विधायकों की सीटों पर भाजपा के पुराने भरोसेमंद चेहरे भी टिकट की आस में हैं। साफ है कि कांग्रेस के इन बागियों को गले लगाया तो भाजपा को अपनों की नाराजगी भी झेलनी पड़ेगी।
ऊना का कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र पूर्व कैबिनेट मंत्री वीरेंद्र कंवर की कर्मभूमि है। कंवर यहां से लगातार चार बार विधायक बने हैं। कांग्रेस से बागी हुए विधायक देवेंद्र भुट्टो कभी उनके सारथी हुआ करते थे। बाद में दोनों की राह अलग-अलग हो गई। दोनों के बीच मामा-भांजे का भी रिश्ता है। इसके अलावा बागी विधायक चैतन्य शर्मा के हलके गगरेट से भाजपा के पूर्व विधायक राजेश ठाकुर और कांग्रेस से भाजपा में आए राकेश कालिया पहले से हैं। बड़सर हलके में पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की दावेदारी को अलग भी रख दें तो यहां से संजीव शर्मा मजबूत दावेदार हैं। कामगार कल्याण बोर्ड के दिवंगत अध्यक्ष राकेश बबली के भाई संजीव को टिकट न देने का खामियाजा 2022 के चुनाव में पार्टी भुगत चुकी है।
5 हजार से कम मार्जन से विस चुनाव जीते थे छह में से 3 अयोग्य विधायक
हिमाचल विधानसभा से अयोग्य घोषित किए गए कांग्रेस के छह में से तीन बागी विधायकों की जीत का मार्जन 5,000 से कम रहा है। उपचुनाव में अगर भाजपा इन्हें प्रत्याशी बनाती है तो इनको चुनाव में जीत हासिल करना चुनौती से कम नहीं होगा। हिमाचल में सुक्खू सरकार का एक साल पूरा होने के बाद उपचुनाव होने जा रहे हैं। राज्य निर्वाचन विभाग ने चुनाव की तिथि तय कर दी है। संभावना जताई जा रही है कि भाजपा बागी विधायकों को चुनाव मैदान में उतारेगी। हालांकि, टिकट की सुगबुगाहट के बीच भाजपा का एक खेमा नाराज है, ऐसे में यह वोट की काट कर सकता है। वहीं, कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की ओर से इन्हें सहयोग मिलना वाला नहीं है।
ऐसे में इन बागी विधायकों की विस उपचुनाव की राह आसान नहीं लग रही है। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में धर्मशाला विधानसभा क्षेत्र से सुधीर शर्मा ने भाजपा के प्रत्याशी रहे राकेश कुमार को 3285 वोटों से पराजित किया था। वहीं, लाहौल स्पीति विधानसभा क्षेत्र में रवि ठाकुर 1616 वोटों से जीते थे। उन्होंने पूर्व में भाजपा सरकार में मंत्री रहे रामलाल मारकंडा को पराजित किया था। सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस बागी विधायक की जीत का मार्जन भी 5,000 से कम रहा है। उन्होंने भाजपा के रणजीत सिंह को 4399 वोटों से हराया था। बड़सर, गगरेट और कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में मार्जन पांच हजार से ज्यादा का है। इनमें कांग्रेस के बागी दो विधायक चैतन्य शर्मा और देवेंद्र भुट्टो पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे जबकि बड़सर के कांग्रेस बागी विधायक इंद्रदत्त लखनपाल तीसरी बार जीते हैं।
मारकंडा व कंवर भाजपा सरकार में रहे हैं मंत्री
जयराम सरकार में रामलाल मारकंडा और वीरेंद्र कंवर मंत्री रहे हैं। अगर उपचुनाव में इन्हें टिकट नहीं मिलता है तो समर्थकों की नाराजगी जगजाहिर हैं। इसका भी भाजपा को घाटा हो सकता है। मारकंडा और कंवर एक दिन पहले ही कह चुके हैं कि वे हर हाल में चुनाव लड़ेंगे। अगर मारकंडा को भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो कांग्रेस की भी नजरें उन पर हो सकती हैं। मारकंडा पुराने कांग्रेसी हैं और कभी सीएम सुक्खू के सहयोगी रहे हैं।
धर्मशाला : क्या सुधीर को स्वीकार कर पाएंगे भाजपाई
हमीरपुर में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के साथ बागी राजेंद्र राणा के कड़वाहट भरे रिश्ते भी किसी से छिपे नहीं है। धर्मशाला सीट पर सांसद किशन कपूर, पूर्व विधायक विशाल नैहरिया और पूर्व प्रत्याशी राकेश चौधरी भाजपा के पुराने भरोसेमंद हैं। ऐसे में यहां बागी सुधीर शर्मा को भाजपाई क्या स्वीकार कर पाएंगे? बागी विधायक रवि ठाकुर की सीट लाहौल-स्पीति में पूर्व कैबिनेट मंत्री रामलाल मारकंडा भाजपा के चेहरे हैं। बागियों को उपचुनाव के जरिये एडजस्ट करने के हाईकमान के फैसले के खिलाफ भले ही इन हलकों में कोई सियासी विस्फोट न हो लेकिन अपनों की नाराजगी पार्टी को झेलनी होगी।
जयराम ने दिए बागियों को टिकट देने के संकेत
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने बागियों को पार्टी टिकट देने के संकेत दिए हैं। ठाकुर ने कहा कि विधानसभा से अयोग्य घोषित 6 कांग्रेस विधायकों का भाजपा सम्मान करती है। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में मतदान किया। पार्टी की ओर से उपचुनाव में उन्हें टिकट मिलना चाहिए। यह फैसला पार्टी हाईकमान को ही लेना है।