प्रदेश के नौवीं से 12वीं कक्षा वाले सरकारी स्कूलों में कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल गठित किए जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश के नौवीं से 12वीं कक्षा वाले सरकारी स्कूलों में कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल गठित किए जाएंगे। स्कूलों में अब पढ़ाई के साथ-साथ विद्यार्थियों को भविष्य की राह चुनने में भी मदद की जाएगी। विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने के लिए स्कूलों में प्रमुख व्यक्तित्व और उच्च अधिकारी बुलाए जाएंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय ने इस बाबत सभी जिला उपनिदेशकों को लिखित निर्देश जारी कर दिए हैं। निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने इस बाबत जल्द कार्रवाई करते हुए निदेशालय को सूचना देने के लिए कहा है।
कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल का स्कूल के सबसे वरिष्ठ शिक्षक को नोडल अधिकारी बनाया जाएगा। सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की शिक्षा विभाग अब पढ़ाई के साथ कॅरिअर काउंसलिंग भी करेगा। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद कौन सा करियर चुनें या फिर किस कोर्स में प्रवेश लें। इसकी जानकारी विद्यार्थियों को मुहैया करवाई जाएगी। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि विद्यार्थी अच्छे अंक लेकर दसवीं और जमा दो की परीक्षा पास कर लेते हैं। इसके बाद आगे की पढ़ाई के दौरान उन्हें कौन सा विषय चुनना है, भविष्य में क्या करना चाहते हैं, इसका सही तरह से चयन नहीं कर पाते। वह कई बार गलत विषय का चयन कर उसमें दाखिला ले लेते हैं, जबकि उनकी रुचि उसमें नहीं होती।
स्कूलों में उन्हें कोई काउंसलर नहीं मिलता, इससे भटकाव की स्थिति पैदा हो जाती है। इस स्थिति से निपटने के लिए विभाग ने कॅरिअर काउंसलिंग और गाइडेंस सेल गठित करने का फैसला लिया है। इस विशेष सेल में विद्यार्थियों को नशे से दूर रहने, साफ-सफाई, सोशल मीडिया और इलेक्ट्रानिक्स गेजेट्स का सही इस्तेमाल करने, खेलकूद और राष्ट्र के प्रति उनके दायित्व को लेकर भी जागरूक किया जाएगा। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमरजीत कुमार शर्मा ने बताया कि सभी जिला उपनिदेशकों को इस बाबत तुरंत कार्रवाई करने के लिए कहा गया है। सभी जिला अधिकारियों को इसकी रिपोर्ट भी भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
शिक्षा निदेशालय ने स्कूलों में उपायुक्तों, उपमंडल अधिकारियों, सीएमओ, बीएमओ, बीडीओ, जिला रोजगार अधिकारी सहित समाज के अन्य प्रतिष्ठित लोगों को स्कूलों में बुलाकर संवाद करवाने के लिए कहा है। शिक्षा निदेशक ने कहा कि इन अधिकारियों से संपर्क कर स्कूल प्रिंसिपलों को विद्यार्थियों को जागरूक करने के लिए विशेष सत्र करने चाहिए।