जिला कांगड़ा के अधीन हल्दून घाटी के करीबन 21 हजार परिवारों ने अपनी उपजाऊ जमीन व घरों का पौंग बांध निर्माण के लिए हंसते-हंसते बलिदान दे दिया, लेकिन विस्थापित हुए परिवारों को अब तक जमीनें नहीं मिल पाई हैं। मात्र 2538 परिवारों को ही समझौते के अनुसार श्रीगंगानगर में जमीन मिल पाई है, जबकि अन्य आज भी इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।
केंद्र व प्रदेश की सरकारें विस्थापितों को हरी-भरी जमीनों के बदले पाकिस्तान बॉर्डर के साथ लगती रेतीली जमीनें देकर विस्थापितों के हितों से कुठाराघात कर रही हैं। विस्थापितों को ऐसी जगह जमीन दी जा रही है, जहां न तो सडक़ है और न ही बिजली-पानी की कोई सुविधा। कॉलेज-स्कूल भी दूर-दूर तक नहीं हैं। ऐसे में वहां पर जीवन-यापन करना काफी मुश्किल है।
पौंग बांध निर्माण के समय समझौता हुआ था कि विस्थापितों को श्रीगंगानगर में मूलभूत सुविधाओं से लैस जमीन दी जाएगी। विस्थापितों के लिए 2.20 लाख एकड़ जमीन भी उपलब्ध थी, लेकिन उस जमीन पर विस्थापितों को नहीं बसाया गया। वहां पर आज भी बाहुबली कब्जा करके बैठे हैं, जिनको राजस्थान सरकार हर मूलभूत सुविधा मुहैया करवा रही है।
हाई पावर कमेटी भी इस जमीन को दिलवाने में नाकाम रही है। मौजूदा समय में विस्थापितों की संख्या दो लाख से भी ज्यादा पहुंच चुकी है तथा इस बार विस्थापित लोकसभा चुनाव में भाजपा-कांग्रेस से दो-दो हाथ करने को तैयार हैं। विस्थापितों ने चेताया है कि हमें दूरदराज रेतीली जमीन स्वीकार नहीं है तथा अगर सरकार ने विस्थापितों के प्रति रवैया न बदला, तो लोस चुनाव का वहिष्कार किया जाएगा।
चुनाव में लेंगे बदला
पौंग बांध विस्थापित समिति के प्रदेशाध्यक्ष हंस राज चौधरी ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, राजस्थान व केंद्र की सरकारें रेतीली जमीन देकर विस्थापितों से अन्याय कर रही हैं तथा इसका बदला चुनाव में लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि आजतक कोई भी सरकार विस्थापितों को उनका हक दिलवाने में आगे नहीं आई है। अब जैसलमेर में भूमि आबंटित करने का निर्णय भी विस्थापित समिति की सहमति बिना ही लिया गया है, जो कि हमें मान्य नहीं है।
सांसद किशन कपूर के बोल
कांगड़ा-चंबा के सांसद किशन कपूर ने कहा कि मैंने समय-समय पर विस्थापितों की आवाज को उठाया है तथा इस मसले को सुलझाने व समाधान के निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि विस्थापितों को उनको हक मिलना चाहिए।
राजस्थान सरकार को भेजी 15663 फाइलें
इस बारे में राहत एवं पुनर्वास कार्यालय राजा का तालाब के उपायुक्त संजय धीमान ने कहा कि भू-आबंटन की 15663 फाइलें राजस्थान सरकार को भेजी जा चुकी हैं। मुआवजा का मामला सरकार के ध्यान में लाया जाएगा।