संविधान और कानून के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कानूनी जटिलताएं न रहने पर ही यह छहों भाजपा में जा सकते हैं। हालांकि, अभी इन छहों नेताओं ने अपना स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया है।
कांग्रेस के अयोग्य घोषित विधायकों के भाजपा ज्वाइन करने में अभी कानूनी पेच है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के स्तर पर भी नई दिल्ली में इस पर गहन चर्चा हुई है। ऐसे में इन बागियों की ज्वाइनिंग की जल्दबाजी में अभी वैधानिक जोखिम है। इन छह बागियों को पहले अपनी याचिका वापस लेनी होगी। उसके बाद ही ये भाजपा में जा पाएंगे।संविधान और कानून के विशेषज्ञ कह रहे हैं कि कानूनी जटिलताएं न रहने पर ही यह छहों भाजपा में जा सकते हैं।
हालांकि, अभी इन छहों नेताओं ने अपना स्टैंड पूरी तरह से स्पष्ट नहीं किया है। अतिरिक्त महाधिवक्ता और विधि विशेष महेंद्र झराईक ने कहा कि अगर अयोग्य घोषित कांग्रेस विधायक भाजपा ज्वाइन करते हैं तो उनकी याचिका रद्द हो जाएगी। इसका मतलब यह हुआ कि वे अपनी याचिका के खिलाफ चले गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने इन छहों के खिलाफ व्हिप जारी होने के बावजूद वित्त विधेयक के पारित करने के समय उपस्थित न होने पर फैसला सुनाया है और इनकी विधानसभा की सदस्यता रद्द की है।
हालांकि, ये विधानसभा अध्यक्ष के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए हैं। वहां उन्होंने व्हिप की अनुपालना नहीं करने के आरोप के खिलाफ ही दलील दी है तो स्वाभाविक रूप से वे यह नहीं मान रहे हैं कि उन्होंने भाजपा का साथ देने के लिए ऐसा किया। अगर वे याचिका के लंबित होने पर भी भाजपा को ज्वाइन करते हैं तो यह भी एक तरह से इसी बात को प्रमाणित करेगा कि विधानसभा अध्यक्ष का फैसला उन्होंने मान लिया।
यानी वे अपने स्टैंड पर कायम नहीं रहे। इसकी वैधानिक जटिलताएं अभी बनी हुई हैं। वहीं, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. कमल मनोहर शर्मा ने कहा कि उन्हें भाजपा को ज्वाइन करने से पहले याचिका को विदड्रा करना होगा। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो अपनी ही याचिका के खिलाफ जाने वाली बात होगी। अगर ऐसा नहीं करते तो इसकी आगे आगामी कानूनी जटिलताएं भी हो सकती हैं।