प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 30,76,182 थी और इसमें 15,19,355 महिला मतदाता थीं। कुल 57.43 फीसदी मतदान हुआ। चार सीटों पर 46 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इनमें से 37 की जमानत जब्त हो गई।
1991 में दसवीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में हमीरपुर लोकसभा सीट से प्रेमकुमार धूमल ने लगातार दूसरी जीत दर्ज की वहीं शिमला से केडी सुल्तानपुरी ने जीत का चौका लगाया। प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 30,76,182 थी और इसमें 15,19,355 महिला मतदाता थीं। कुल 57.43 फीसदी मतदान हुआ।
चार सीटों पर 46 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। इनमें से 37 की जमानत जब्त हो गई। शिमला सीट पर 7, मंडी में 10, कांगड़ा में 12 और हमीरपुर में 17 उम्मीदवार थे। कांगड़ा से चंद्रेश कुमारी (कांग्रेस) और शिमला से बिमला रानी (डीडीपी) भी चुनाव मैदान में थीं। शिमला से केडी सुल्तानपुरी, मंडी से सुखराम, कांगड़ा से डीडी खनोरिया और हमीरपुर से प्रेमकुमार धूमल जीते। भाजपा और कांग्रेस ने दो-दो सीटें जीतीं।
उस समय नहीं होती थी सच झूठ की राजनीतिः रोमेल
आज भी बिना चश्मे के स्कूटी चलाने वाले 106 वर्षीय ऑनरेरी कैप्टन रोमेल सिंह 1952 से पंचायत से लेकर लोकसभा तक के चुनावों में लगातार मतदान करते आ रहे हैं। कैप्टन रोमेल कहते हैं कि पहले के जमाने में साधनों के अभाव में नेता और उनके समर्थक पैदल चुनाव प्रचार करते थे।
चुनाव प्रक्रिया में काफी हद तक सादगी होती थी। प्रलोभन से लोग कोसों दूर थे। रेडियो से ही चुनावों के समाचार मतदाताओं तक पहुंचते थे। 1977 के चुनावों का प्रचार ट्रक के माध्यम से होना शुरू हो गया था। ट्रक में लगे लाउड स्पीकर पर बोलियां डालकर, नाच-गाकर पार्टी के पक्ष में नारे लगाकर समर्थक देर रात तक मतदाताओं को रिझाते थे। जलसों में भारी भीड़ जुटती थी। अब मतदाताओं की रिझाने के लिए सच-झूठ और प्रलोभन की राजनीति का बोलबाला है।