# पहले आम चुनाव में एक चौथाई मतदाताओं ने ही डाले थे वोट….

2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 72.42 फीसदी मतदान हुआ था। ऐसा नहीं है कि आम चुनावों में मतदान को लेकर शुरू से ही ऐसा रुझान रहा है। 

हिमाचल में 2019 के लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 72.42 फीसदी मतदान हुआ था। ऐसा नहीं है कि आम चुनावों में मतदान को लेकर शुरू से ही ऐसा रुझान रहा है। स्वतंत्रता के बाद 1951-52 में हुए पहले आम चुनाव में हिमाचल प्रदेश मतदान के मामले में आखिरी पायदान पर था। हिमाचल में पहले आम चुनाव में दो सीटें थीं। एक दो सदस्यीय और दूसरी एक सदस्यीय थी। दोनों ही सीटों पर कुल मतदाताओं की संख्या 5,31,018 थी। इसमें चंबा सिरमौर सीट पर 1,80,581 और मंडी-महासू सीट पर 3,50,437 मतदाता थे। 

पहले चुनाव में प्रदेश में 25.32 फीसदी मतदान हुआ था। इसमें चंबा सिरमौर सीट पर 47,812 और मंडी महासू सीट पर 1,75,377 मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। यानी प्रदेश में कुल 2,23,189 मतदाताओं ने ही मताधिकार का प्रयोग किया था। बिलासपुर उस समय सी श्रेणी का राज्य था। बिलासपुर में कुल 68,130 मतदाता थे। उस समय राजा आनंद चंद निर्विरोध निर्वाचित हुए थे। यानी बिलासपुर में भी पहले लोकसभा चुनाव में किसी मतदाता ने मतदान नहीं किया था।

पैसे लेकर वोट डालना ईमान बेचने के बराबर : धनीराम
 ऊना शहर के साथ लगते गांव कोटला कलां के रहने वाले 102 वर्षीय धनीराम का कहना है कि वर्तमान में चुनाव प्रक्रिया और राजनीति में पैसे का दबदबा अधिक हो गया है। जबकि पुराने समय में नेताओं और जनता के लिए उनके आदर्श और विचारधारा ही सब कुछ हुआ करते थे। धनीराम बताते हैं कि उन्होंने साल 1945 में मैट्रिक पास की और स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं दी। साल 1981 में वह सेवानिवृत्त हो गए। परंतु जब से होश संभाली, मतदान करना कभी भी नहीं भूलते। उन्होंने कहा कि पुराने जमाने में चुनाव में खड़े प्रत्याशी पैदल या साइकिल पर ही चुनाव प्रचार करते थे। आज इतना धन कहां से आ गया कि गरीब या मध्य वर्ग का आदमी जो जितना मर्जी योग्य हो, यदि उसके पास पांच या सात करोड़ रुपये नहीं है, तब वह चुनाव लड़ने के बारे सोच भी नहीं सकता। 

आज पैसा ही सब कुछ हो गया है। आज से 50 वर्ष पहले नेता लोग भी ईमानदार होते थे। वह राजनीति को सेवा समझते थे। आज के युग में अपनी और परिवार की सेवा समझते हैं और चुनाव नजदीक आते ही लोगों को पैसा बांटकर कई लोग उनसे वोट डलवाते हैं। ऐसा करके मतदान करना अपना ईमान और धर्म बचने के बराबर है। कहा कि जो ऐसा घृणित काम करता है, उसे परमात्मा के पास हिसाब देना पड़ेगा।

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