
प्रदेश में सड़क हादसों में हर साल औसतन एक हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं और चार हजार से अधिक लोग घायल होते हैं।
हिमाचल प्रदेश में सड़क हादसों में हर साल औसतन एक हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवाते हैं और चार हजार से अधिक लोग घायल होते हैं। पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो 13,913 सड़क हादसे प्रदेश के विभिन्न जिलों में हुए। इन हादसों में 5,476 लोगों ने जान गंवाई। 23,509 लोगों को हादसे उम्र भर का घाव दे गए। प्रदेश की सर्पीली सड़कों पर हादसा होने के बाद सरकार ठोस कदम उठाने के दावे करती रहीं हैं। यहां तक की राजनीतिक दल भी चुनावों में सड़कों की हालत को मुद्दा बनाते रहे हैं, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं हो पाया।
13,913 सड़क हादसे हुए पिछले 5 साल में, 5,476 लोगों ने हादसों में गंवाई जान
जांच में सामने आया है कि राज्य में ज्यादातर सड़क हादसे शराब पीकर गाड़ी चलाने और ओवरस्पीड के कारण हो रहे हैं। पुलिस, परिवहन और लोक निर्माण विभाग की मानें तो अन्य राज्यों की अपेक्षा हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक स्थिति काफी भिन्न है। पहाड़ी राज्य होने के नाते यहां की सड़कें टेढ़ी-मेढ़ी हैं। मैदानी राज्यों की अपेक्षा सड़कों की चौड़ाई भी कम है। ऐसे में मैदानी इलाकों की अपेक्षा हिमाचल में सफर करना मुश्किल है।
शाम 6 से 9 बजे तक होते हैं ज्यादा हादसे
हिमाचल प्रदेश में अधिकांश सड़क हादसे सांय 6 से शाम 9 बजे तक होते हैं। 1 सितंबर 2022 से 27 अक्तूबर 2023 तक इस समय में 2400 सड़क हादसे हुए। इसमें 966 लोगों की मौत हुई है।
23,509 लोगों को हादसे उम्र भर का दे गए घाव
- आंकड़ों पर गौर करें साल 2017 से 2023 तक हिमाचल में हर रोज औसतन सात हादसे हुए। हर आठ घंटे बाद एक शख्स की मौत हुई।
- वर्ष 2022 की तुलना में वर्ष 2023 में सड़क हादसों में 13 और मृतकों की संख्या में 14 फीसदी की कमी आई है।
- सड़क निर्माण एजेंसियों ने 122 ब्लैक स्पॉट और हादसे की दृष्टि से महत्वपूर्ण 969 संवेदनशील स्थानों का सुधार किया है।
- वर्ष 2023 में पुलिस और परिवहन विभाग ने लगभग 8.5 लाख वाहनों के चालान किए।
- सोलन के बद्दी में स्वचालित वाहन जांच प्रणाली स्थापित की जा रही है और ऊना के हरोली में स्वचालित ड्राइविंग टेस्टिंग ट्रैक और सुरक्षा पार्क का निर्माण करवाया जा रहा है।
- पांच साल के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 29.30 फीसदी रोड ट्रैफिक एक्सीडेंट हैं। यह दर 31.54 थी।
- जनसंख्या और वाहन संख्या के मामले में हिमाचल की सड़कों को राष्ट्रीय सुरक्षा औसत से खराब बताया गया था।