शिमला में सेना प्रशिक्षण कमान मुख्यालय में आयोजित अलंकरण समारोह में सेना प्रशिक्ष कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा कि रूस-यूक्रेन और गाजा संघर्ष युद्ध से मिले सबक को सेना प्रशिक्षण संस्थान के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा।
रूस-यूक्रेन और गाजा संघर्ष युद्ध से मिले सबक को सेना प्रशिक्षण संस्थान के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। पिछले तीन सालों से दोनों युद्धों से कई महत्वपूर्ण सबक सामने आए हैं। युद्ध की कुछ पूर्वकल्पित धारणाओं को भी तोड़ा है। इन पाठों को प्रशिक्षण पाठ्यक्रम में कैसे शामिल किया जा सकता है, इसके लिए भारतीय सेना की ओर से अध्ययन किया जा रहा है।विज्ञापन
’24 देशों के सैनिकों को देश में दिया जा रहा है सेना सैन्य प्रशिक्षण’
राजधानी शिमला में सेना प्रशिक्षण कमान मुख्यालय में आयोजित अलंकरण समारोह में सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रैक) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा कि 24 देशों के सैनिकों को देश में सेना सैन्य प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 11 मोबाइल प्रशिक्षण टीमें विदेशों में काम कर रही हैं। नई टेक्नोलॉजी आने के साथ-साथ लड़ाई लड़ने के तरीके भी बदलते रहते हैं। जब भी नई टेक्नोलॉजी आती है सबसे पहले उसको वॉर फेयर में इस्तेमाल किया जाता है।
‘सेना के लिए 90 प्रतिशत सामान देश में हो रहा है निर्मित’
सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रैक) के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मनजिंदर सिंह ने कहा जब जीपीएस आया था तो सबसे पहले सेना में इस्तेमाल किया गया। आज के दिन जीपीएस सब के मोबाइल के अंदर आ गया है। पिछले 5 से 7 सालों में काफी बदलाव हुए हैं। सात डीपीएसओ खड़े किए हैं। सरकार की ओर से आत्मनिर्भर भारत अभियान के चलते सेना के लिए 90 प्रतिशत सामान देश में निर्मित हो रहा है।विज्ञापन
‘युद्ध कहीं भी हो भारतीय सेना करती है अध्ययन’
मनजिंदर सिंह ने कहा कि नई टेक्नोलॉजी को देश की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। दुनिया में कहीं भी युद्ध हो, उस पर भारतीय सेना भी अध्ययन करती है। देखा जाता है कि लड़ाई में कौन से हथियार इस्तेमाल किए जा रहे हैं। किससे नुकसान या फायदा हो रहा है।
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‘भारतीय सैनिकों को दिया जा रहा बेहतर प्रशिक्षण’
मनजिंदर सिंह ने कहा कि अध्ययन के माध्यम से हम उस पर डाक्यूमेंट्री बनाते है कि हम उस टेक्नोलॉजी को कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। उसी हिसाब से प्रशिक्षण का मसौदा तैयार करते हैं। उसे जवानों तक पहुंचाता जाता है, ताकि हमारी क्षमता में बढ़ोतरी हो। देश की सीमाओं पर हर परिस्थितियों से निपटने के लिए सैनिकों को बेहतर प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है।