# भाजपा के मोहरों से सुजानपुर और गगरेट में कांग्रेस ने बिछाई चुनावी बिसात…

HP Assembly Byelection: Congress laid the electoral chessboard in Sujanpur and Gagret with BJP's stamps.

सुजानपुर में कैप्टन रणजीत सिंह राणा और गगरेट में राकेश कालिया को प्रत्याशी बनाने के लिए ही पार्टी में शामिल करने की कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी। 

भाजपा के योद्धाओं के दम पर सुजानपुर और गगरेट विधानसभा क्षेत्र को फतह करने का कांग्रेस ने चक्रव्यूह रच दिया है। सुजानपुर में कैप्टन रणजीत सिंह राणा और गगरेट में राकेश कालिया को प्रत्याशी बनाने के लिए ही पार्टी में शामिल करने की कांग्रेस ने रणनीति बनाई थी।  भाजपा से नाराज हुए इन दोनों नेताओं को अब पार्टी का टिकट देकर कांग्रेस ने उपचुनाव में मुकाबला दिलचस्प बना दिया है। अपना परंपरागत वोट बैंक साध कर भाजपा के नाराज समर्थकों में सेंधमारी करने के लिए कांग्रेस ने इन दोनों के मार्फत नई योजना बनाई है। साल 2008 में विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन से सुजानपुर अस्तित्व में आया था। 

पहली बार यहां 2012 में हुए चुनाव के दौरान राजेंद्र राणा ने बतौर निर्दलीय भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों को पटकनी दी। 2014 में राजेंद्र राणा ने कांग्रेस टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। उपचुनाव होने पर भाजपा ने यहां जीत दर्ज की। 2017 और 2022 के चुनाव में राणा ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की। सुजानपुर से राजेंद्र राणा बीते 12 वर्षों तक कांग्रेस के बड़े नेता रहे हैं। इस कारण यहां पर कांग्रेस के सेकेंड लाइन नेता मजबूती से अपना अस्तित्व नहीं बना सके। अब यहां उपचुनाव होने के चलते सत्तारुढ़ कांग्रेस ने भाजपा के ही हथियार रहे कैप्टन रणजीत सिंह के माध्यम से राजेंद्र राणा को चारों खाने चित करने की योजना तैयार की है।जिला ऊना के गगरेट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के लिए मजबूत प्रत्याशी तलाशना बड़ी परेशानी नहीं थी। विज्ञापन

वर्ष 2022 के चुनाव में ही यहां से चैतन्य शर्मा को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया था। यहां पूर्व उद्योग मंत्री कुलदीप कुमार के तौर पर कांग्रेस के पास विकल्प था। इसके बावजूद कांग्रेस ने भाजपा छोड़ने वाले राकेश कालिया काे प्रत्याशी बनाकर विरोधी खेमे के वोट बैंक में भी सेंधमारी करने का फैसला लिया है। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के लिए हमेशा चुनौती बना रहा है। 1967 से लेकर 2022 तक इस विधानसभा क्षेत्र में 13 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी केवल मात्र तीन दफा ही जीत पाई है। पूर्व मंत्री वीरेंद्र कंवर का इस सीट पर बड़ा प्रभाव रहा है। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस टिकट पर देवेंद्र भुट्टो ने वीरेंद्र कंवर को हराया था। अब भुट्टो भाजपा के प्रत्याशी हैं। ऐसे में कांग्रेस इस उपचुनाव को बड़ी चुनौती नहीं मान रही है। कांग्रेस ने यहां से अपने पुराने सक्रिय युवा नेता विवेक शर्मा को चुनाव मैदान में उतारा है।विज्ञापन

भाजपा के नाराज समर्थकों में सेंधमारी करने की भी योजना
हमीरपुर। सेना मेडल से नवाजे गए कैप्टन रणजीत राणा सुजानपुर उपचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी होंगे। कांग्रेस पार्टी में शामिल होने के बाद से उनका टिकट तय माना जा रहा था। सेना में दो दशक से अधिक समय तक सेवाएं देने वाले रंजीत राणा भाजपा में पिछले 21 वर्षो से सक्रिय राजनीति हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के विस चुनाव लड़ने के इन्कार के बाद उन्हें चुनावी मैदान में उतारा गया था। इस चुनाव में वह महज 399 मतों से कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र राणा से हार गए थे। सुजानपुर पूर्व सैनिक बहुल परिवार क्षेत्र है ऐसे में कांग्रेस ने पूर्व सैनिक पर दांव चला है। साल 1977 में डोगरा रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए। रणजीत सिंह एनडीए खड़कवासला और आईएमए में सेवाएं दे चुके हैं। वह साल 2000 असम में उग्रवादियों से लोहा लेकर उन्होंने सराहनीय कार्य किया। उन्हें सेना मेडल से सरकार ने नवाजा गया है। 

चिंतपूर्णी से दो, गगरेट से एक बार विधायक रहे हैं कालिया
ऊना। राकेश कालिया का जन्म चिंतपूर्णी में मदन लाल कालिया के घर 10 जून 1968 को हुआ। उन्होंने स्कूल स्तर की पढ़ाई चिंतपूर्णी से और प्री-इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई बंगलूरू से की। उन्होंने साल 2000 से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत युवा कांग्रेस के प्रदेश महासचिव के रूप में की। वह साल 2003 से लेकर 2017 तक लगातार तीन बार विधायक रहे। जिसमें 2003 और 2007 चुनाव में चिंतपूर्णी और साल 2012 में गगरेट से विधायक रहे। राकेश कालिया के एक बेटा और एक बेटी है। राकेश कालिया दो बार चिंतपूर्णी और एक बार गगरेट विधानसभा से विधायक रहे हैं। साल वर्ष 2003 में चिंतपूर्णी विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस ने राकेश कालिया को उतारा, उन्होंने भाजपा के प्रवीण शर्मा को हराया। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में राकेश कालिया ने दोबारा जीत हासिल करते हुए 16135 वोट से भाजपा के प्रत्याशी नरेंद्र शर्मा को हराया। साल 2012 के चुनाव में हाईकमान ने उन्हें गगरेट से प्रत्याशी के रूप में उतारा।

2022 में नहीं मिला था टिकट, इंतजार का मिला फल
ऊना। छात्र राजनीति से निकले एनएसयूआई के कार्यकर्ता विवेक शर्मा विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे हैं और अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद युवा कांग्रेस के भी विभिन्न पदों पर रहे। वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस पार्टी के महासचिव हैं। ये कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र से संबंध रखते हैं। 2017 में विधानसभा का टिकट पहली बार मिला था, लेकिन हार गए और अब जाकर 2024 के विधानसभा उपचुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने मौका दिया है। इसके चलते अब कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में विवेक शर्मा के ऊपर दूसरी बार कांग्रेस पार्टी हाई कमान ने मुख्यमंत्री के करीबी विवेक शर्मा को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा है। विवेक शर्मा के पिता पंडित राम नाथ शर्मा ने जनता पार्टी की छोड़ कर कांग्रेस पार्टी से जीत दर्ज की थी।

तीन सीटों पर इंतजार
धर्मशाला : पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रहे भाजपा प्रत्याशी सुधीर शर्मा को घेरने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने पूरी ताकत झोंक दी है। बीते दिनों मुख्यमंत्री धर्मशाला का दौरा भी कर चुके हैं। यहां कांग्रेस की नजर भाजपा के नाराज नेता राकेश चौधरी पर है। इनके अलावा नगर निगम के पूर्व मेयर देवेंद्र जग्गी और पूर्व मंत्री चंद्रेश कुमारी की बहु को लेकर भी पार्टी में मंथन जारी है। पार्टी इस सीट को हर सूरत में जीत कर बगावत करने वालों को कड़ा संदेश देना चाहती है।

लाहौल-स्पीति : भाजपा के पूर्व विधायक और पूर्व मंत्री डॉ. रामलाल मारकंडा को लाहौल-स्पीति में होने वाले उपचुनाव के लिए पार्टी प्रत्याशी बनाने के गुणा-भाग में कांग्रेस उलझी हुई है। यहां मारकंडा को पार्टी प्रत्याशी बनाकर होने वाले नुकसान को अभी भांपा जा रहा है। अपने वरिष्ठ और सक्रिय नेताओं को लेकर भी कांग्रेस मंथन कर रही है। इस सीट से जिला परिषद सदस्य अनुराधा राणा और पूर्व विधायक रघुवीर सिंह का नाम भी पार्टी प्रत्याशी बनाने की लिस्ट में शामिल है। फिलहाल, लाहौल-स्पीति को लेकर कांग्रेस में माथापच्ची का दौर जारी है।

बड़सर : हमीरपुर के बड्सर विधानसभा क्षेत्र में जीत दर्ज करना भी मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा से जुड़ गया है। यहां से पूर्व विधायक मंजीत डोगरा, कृष्ण चौधरी और शर्मिला पटियाल के नाम को लेकर मंथन चल रहा है। जिताऊ प्रत्याशी की तलाश के चलते ही इस विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए टिकट घोषित होने में देरी हो रही है। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह के पड़ोस की इस सीट पर कांग्रेस को इस बार अपने ही पुराने साथी इंद्रदत्त लखनपाल का मुकाबला करना है। यहां से कांग्रेस दमदार प्रत्याशी को उतारना चाहती है।

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