लोकसभा चुनाव और विधानसभा उपचुनाव की आचार संहिता के बीच हिमाचल सरकार को भारत सरकार से दिसंबर, 2024 तक की लोन ऑथराइजेशन एडवांस में मिल गई है। हिमाचल सरकार अब वर्तमान वित्त वर्ष में पहले नौ महीने की अवधि के लिए 6200 करोड़ रुपए का लोन ले सकेगी। राज्य के वित्त विभाग ने सामान्य तौर पर मई महीने में मिलने वाली लोन ऑथराइजेशन को अप्रैल में ही देने का आग्रह किया था। इस बारे में सारी डॉक्यूमेंटेशन समय से पूरी कर दी गई थी। इस कारण भारत सरकार ने एक महीना पहले ही लोन की धनराशि की मंजूरी दे दी है।
अब राज्य सरकार को यह अनुमति मिल गई। इसके बाद दिसंबर, 2024 तक काम चलाने को 6200 करोड़ का लोन लेने के लिए अलग-अलग मंजूरी लेना जरूरी नहीं है। पिछले वित्त वर्ष में इसी अवधि के लिए 6008 करोड़ की ऑथराइजेशन मिली थी। केंद्र सरकार राज्य के कुल सकल घरेलू उत्पाद यानी जीएसडीपी के तीन फीसदी तक ही लोन की अनुमति देती है और इसी फार्मूले से इस बार भी अमाउंट तय हुआ है। इस ऑथराइजेशन से मुश्किल आर्थिक हालात झेल रही राज्य सरकार को राहत मिली है। 6200 करोड़ की इस धनराशि में से 1000 करोड़ एडवांस लोन राज्य सरकार पहले ही ले चुकी है।
29 मार्च, 2024 को यह लोन विज्ञापित किया गया था और तीन अप्रैल को राज्य सरकार के खाते में आ गया था। अब 5200 करोड़ का लोन दिसंबर तक के महीनों के लिए राज्य सरकार ले सकेगी। आखिरी तिमाही के तीन महीनों यानी जनवरी से मार्च तक के लिए भारत सरकार अलग से अनुमति देती है। नया वेतन आयोग लागू होने के बाद राज्य सरकार के लिए हर महीने वेतन, पेंशन और रीपेमेंट के लिए 2000 करोड़ की धनराशि की जरूरत होती है।
राज्य की अब स्थिति यह है कि हर महीने सैलरी देने के लिए भी लोन से पैसा डालना पड़ रहा है। पूर्व भाजपा सरकार के आखिरी साल में कर्मचारियों को वेतन आयोग दिया गया था। इसी साल सरकार ने सबसे ज्यादा 14000 करोड़ रुपए का लोन लिया था। इसके बाद कांग्रेस सरकार के पहले साल में भारत सरकार से ही लोन की उदार अनुमति नहीं मिली। इसलिए यह धनराशि 8000 करोड़ के आसपास ही रही थी। (एचडीएम)
वर्तमान वित्त वर्ष में राज्य सरकार के सामने दो तरह के भुगतान सबसे बड़े हैं। पहला भुगतान सरकारी कर्मचारियों को वेतन आयोग एरियर का है। पूर्व भाजपा सरकार में सिर्फ एक किस्त एरियर की दी जा सकी थी। वर्तमान सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले न्यूनतम एरियर देने की नोटिफिकेशन की थी, लेकिन फार्मूले का विरोध होने के बाद इस नोटिफिकेशन को वापस ले लिया था। अभी 12 फीसदी महंगाई भत्ता बकाया है, जिसमें से चार फीसदी की एक किस्त इसी महीने से दी जा रही है, लेकिन इससे भी बड़ा भुगतान कॉन्ट्रैक्ट पॉलिसी को लेकर विभिन्न अदालतों से आ रहे फैसलों के बाद बन गया है। चुनाव पूरे होने के बाद इन फैसलों को भी लागू करना पड़ेगा।