एनआईटी हमीरपुर के छात्रों ने एक ऐसा रोबोट बनाया है जो जो भूकंप और भूस्खलन जैसी स्थिति में बचाव दल की मदद करेगा। ये रोबोट घटनास्थल पर वीडियो रिकॉर्ड करने के साथ यह स्ट्रक्चर की थ्रीडी मैपिंग करने में भी सक्षम है।
एनआईटी हमीरपुर के चार विद्यार्थियों ने मकड़ी की तरह चलने वाला ऐसा रोबोट तैयार किया है, जो भूकंप और भूस्खलन जैसी स्थिति में बचाव दल की मदद करेगा। यह रोबोट फोटो और वीडियो के माध्यम से बताएगा कि कैसे रेस्क्यू अभियान चलाना है। मकड़ी की तरह चलने वाले इस रोबोट को ‘स्पाई डी रोबोट’ नाम दिया गया है। खास बात यह है कि मानवीय पहुंच से बाहर होने वाले कार्यों को आसानी से कर सकता है। घटनास्थल पर वीडियो रिकॉर्ड करने के साथ यह स्ट्रक्चर की थ्रीडी मैपिंग करने में भी सक्षम है। रोबोट सेंसर की मदद से बिना रिमोट कमांड के कार्य करने में भी सक्षम है।
लागत महज 10 हजार रुपये
वर्तमान में ड्रोन के जरिये आपदा के दौरान तस्वीरें अथवा वीडियो लेने का कार्य किया जाता है, लेकिन यह रोबोट मलबे और पहाड़ियों के भीतर जाने में सक्षम होगा, जहां ड्रोन की पहुंच भी संभव नहीं होगी। एनआईटी हमीरपुर के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन विभाग के तृतीय वर्ष के छात्र पार्थ और द्वितीय वर्ष के अंशुमन, आशीष और गौरव ने इस रोबोट को तैयार किया है। इस पर 10 हजार रुपये की लागत आई है।
छात्रों का दावा है कि भारतीय बाजार में इतनी लागत में इस तरह के रोबोट मौजूद नहीं हैं। विदेशों में 10 गुना ज्यादा कीमत पर इस तरह के रोबोट उपलब्ध हैं। इसका आकार एक वर्ग फीट है। हालांकि आकार जरूरत के हिसाब से कम और ज्यादा किया जा सकता है। यह रोबोट बिना किसी की नजर में आए बेहद कम आवाज में कार्य करने में सक्षम है। वाईफाई कैमरा की लाइव फीड भेजी जाएगी। यदि वाईफाई का सिग्नल चला जाए तो फुटेज को रिकॉर्ड कर लेगा। इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा सकेगा। हालांकि सेंसर से यह कार्य (ऑटोनॉम्स) स्वयं संचालित होगा।
किस तकनीक पर करेगा काम
छह पैर वाले इस रोबोट की चाल मकड़ी की तरह है और आरडीनो मेगा से इसे नियंत्रित किया जाता है। आरडीनो मेगा रोबोट का कंट्रोल यूनिट है, जो उसके दिमाग का कार्य करता है। इस रोबोट को ईएसपी 32 वाईफाई मॉड्यूल से जोड़ा गया है, जो कैमरा से लाइव फुटेज को रिकॉर्ड कर यूजर तक पहुंचाता है।
इसमें इनर्शल मेजरमेंट यूनिट (आईएमयू) और अल्ट्रासोनिक सेंसर लगे हैं, जो किसी भी खतरे से रोबोट को बचाते अथवा सचेत करते हैं। यह सेंसर सामने स्थित वस्तु की दूरी और आकार की जानकारी देते हैं। इस आधार पर यूजर रोबोट को कमांड देकर लक्षित स्थान पर पहुंचा सकता है। हालांकि यूजर कमांड के बिना भी सेंसर से यह कार्य ऑटोनॉम्स अथवा स्वयं संचालित होता है।
थ्रीडी मैपिंग करने में भी होगा सक्षम
इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग के सहायक प्रोफेसर राकेश शर्मा का कहना है कि विद्यार्थियों ने बेहद कम लागत में यह रोबोट तैयार किया है। आपदाग्रस्त क्षेत्र में वीडियो की लाइव फुटेज देने के साथ यह रोबोट थ्रीडी मैपिंग करने में भी सक्षम होगा।