हिमाचल प्रदेश के एकमात्र आरक्षित संसदीय क्षेत्र का नाम तो बेशक शिमला है लेकिन इस सीट पर दबदबा सोलन और सिरमौर जिला के नेताओं का ही रहा है। वर्ष 1952 से 2019 तक सिर्फ एक बार जिला शिमला को सांसद का पद मिला है। 38 वर्ष तक सोलन और 30 वर्ष तक सिरमौर के नेताओं ने शिमला संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया है। भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक दलों ने शिमला जिला की जगह सोलन-सिरमौर के नेताओं को ही प्रत्याशी बनाने में अधिमान दिया है। इस बार भी भाजपा और कांग्रेस ने सात विधानसभा क्षेत्रों वाले शिमला जिले से अपने प्रत्याशी नहीं दिए हैं। भाजपा ने सिरमौर तो कांग्रेस ने सोलन से उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं।
जीत और हार में शिमला जिले की अहम भूमिका
शिमला संसदीय सीट से चाहे दोनों बड़े राजनीतिक दलों भाजपा और कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं दिए हैं, लेकिन प्रत्याशियों की जीत और हार में शिमला जिला की भूमिका अहम रहती है। प्रत्याशियों को जीत की दहलीज लांघने के लिए शिमला से मिलने वाले मतों का बड़ा आसरा होता है। जिले में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं जबकि सोलन और सिरमौर में पांच-पांच विधानसभा हैं।
लगातार छह बार सांसद रहे हैं सुल्तानपुरी
शिमला संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिनिधित्व सोलन जिले के कृष्ण दत्त सुल्तानपुरी ने किया है। सुल्तानपुरी 1980 से 1998 तक लगातार छह बार सांसद रहे। सिरमौर के प्रताप सिंह दो बार सांसद रहे। इनका कार्यकाल 10 वर्ष का रहा। वहीं, सोलन जिले से ही कर्नल धनीराम शांडिल दो बार सांसद रहे और इनका कार्यकाल 10 वर्ष का रहा। सोलन जिला के वीरेंद्र कश्यप दो बार सांसद रहे, इनका कार्यकाल भी दस वर्ष रहा।
इस बार भी सोलन और सिरमौर से हैं दोनों प्रत्याशी
भाजपा ने सिरमौर से वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप को प्रत्याशी बनाया है। सोलन जिले से कांग्रेस ने मौजूदा विधायक विनोद सुल्तानपुरी पर दांव खेला है। ऐसे में अपने-अपने गृह जिला के मतों के अलावा शिमला जिले की सात सीटों में बढ़त लेने वाले पार्टी प्रत्याशी के लिए ही दिल्ली पहुंचने की राह आसान होगी।
वर्ष 1977 में शिमला के बालक राम कश्यप चुने गए थे सांसद
1977 के चुनाव में शिमला निवासी बालक राम कश्यप जनता पार्टी के टिकट पर सांसद चुने गए थे। शिमला से एक मात्र सांसद बालक राम का कार्यकाल भी ढाई वर्ष रहा।1980 के बाद से सभी चुनावों में सोलन और सिरमौर जिले से ही भाजपा और कांग्रेस के सांसद बनते आए हैं।
सिरमौर के पांच, सोलन जिले के चार नेता पहुंचे हैं संसद
सिरमौर के पांच और सोलन से चार नेता अभी तक संसद तक पहुंच चुके हैं। सोलन से संबंध रखने वाले डॉ. कर्नल धनी राम शांडिल (सेवानिवृत्त) ने 1999 में हिमाचल विकास कांग्रेस के टिकट पर सिरमौर जिले से कांग्रेस उम्मीदवार गंगू राम मुसाफिर को हराकर शिमला संसदीय सीट जीती थी। शांडिल ने कांग्रेस का एकाधिकार तोड़ते हुए जीत दर्ज की थी। बाद में शांडिल कांग्रेस में शामिल हो गए।
2004 में पार्टी के टिकट पर दूसरी बार सीट जीती। शांडिल 2009 के चुनाव में सोलन निवासी भाजपा के वीरेंद्र कश्यप से सीट हार गए थे। सिरमौर के वीरेंद्र कश्यप ने 2014 में भी शिमला से लोकसभा चुनाव जीता था। इस दौरान कांग्रेस ने जिला शिमला के रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा को पार्टी प्रत्याशी बनाया था। 2019 में भाजपा ने सिरमौर के सुरेश कश्यप को शिमला से मैदान में उतारा था। सुरेश कश्यप ने कांग्रेस के धनीराम शांडिल को हराकर सीट जीती।