कांग्रेस को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव वाले जिला हमीरपुर के तहत सुजानपुर विधानसभा सीट में अपना प्रत्याशी देने में भले ही देर लगी लेकिन अब तस्वीर साफ है। इस सीट पर पूर्व में दल बदल चुके प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। दोनों ही धूमल के शागिर्द रहे हैं। मुद्दे भी 2022 वाले ही हैं। फैसला अब मतदाताओं को करना है।
राणाओं की सियासी अदला-बदली… और असमंजस में मतदाता। बात हो रही है पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के प्रभाव वाले जिला हमीरपुर के तहत सुजानपुर विधानसभा सीट में होने वाले उपचुनाव की। कांग्रेस को यहां से अपना प्रत्याशी देने में भले ही देर लगी लेकिन अब तस्वीर साफ है। इस सीट पर पूर्व में दल बदल चुके प्रत्याशियों के बीच मुकाबला है। दोनों ही धूमल के शागिर्द रहे हैं। मुद्दे भी 2022 वाले ही हैं। फैसला अब मतदाताओं को करना है।
सुजानपुर सीट पर 2022 में राजेंद्र राणा कांग्रेस के टिकट पर विधायक बने और इस बार भाजपा से चुनावी मैदान में उतरे हैं। कैप्टन रंजीत राणा ने पिछली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में रंजीत ने चुनावी जंग फतह करने के लिए धूमल का आशीर्वाद लिया था लेकिन कांटे के मुकाबले में 399 मतों से मात खा गए थे।
अब कांग्रेस को छोड़कर कमल के चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ रहे राजेंद्र राणा ने इस बार धूमल के घर जाकर जीत के लिए उनका आशीर्वाद लिया है। धूमल बेशक पार्टी लाइन के अंदर रहकर भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा के साथ सार्वजनिक तौर पर खड़े हैं, लेकिन उनके समर्थकों का साथ किसे मिलेगा इसे लेकर चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। दोनों ही प्रत्याशियों ने दल बदले हैं। लिहाजा, माना जा रहा है कि जिस दल में भितरघात कम होगा, उसके जीतने की संभावना उतनी ही बढ़ जाएगी।
बीते चुनावों में कांग्रेस ने जयराम सरकार के खिलाफ सुजानपुर की अनदेखी के मुद्दे को प्रमुखता से लोगों के बीच उठाया था। अब भाजपा इस मुद्दे पर कांग्रेस की सुक्खू सरकार को घेरने के प्रयास में है। भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा तीन दफा विधायक रह चुके हैं तो कैप्टन रंजीत राणा भी क्षेत्र की 16 पंचायतों का बीड़ बगेहड़ा जिला परिषद सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। भाजपा सुजानपुर की अनदेखी को मुद्दा बना रही है, वहीं कांग्रेस मुख्यमंत्री फैक्टर के बूते सुजानपुर को फतह करने के प्रयास में है।
स्वाभिमान की लड़ाई
यह उपचुनाव नहीं बल्कि हमीरपुर और सुजानपुर के हितों और स्वाभिमान की लड़ाई है। दल बदल से लोग तंग आ चुके हैं। पिछले 15 साल में व्यक्तिगत विकास को सुजानपुर में तवज्जो दी गई है, जबकि सुजानपुर के हितों की डेढ़ दशक से अनदेखी ही हो रही है। कभी भाजपा कभी कांग्रेस और कभी आजाद चुनाव लड़कर हित साधे गए हैं। मैं किसी पद के लालच के लिए कांग्रेस में नहीं आया हूं। मुख्यमंत्री सुक्खू और हमीरपुर का साथ देने के लिए चुनावी मैदान में हूं। सुजानपुर और हमीरपुर मुख्यमंत्री के पद को खोने के दर्द को भूला नहीं है। सीएम सुक्खू ने हमीरपुर ही नहीं बल्कि प्रदेशभर में आपदा में सराहनीय कार्य किया है। भ्रष्टाचार के अड्डे को बंद कर राज्य चयन आयोग हमीरपुर को स्थापित कर पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है। सीएम सुक्खू आम लोगों के मुख्यमंत्री हैं। – कैप्टन रंजीत राणा, कांग्रेस प्रत्याशी
कैप्टन रंजीत राणा, कांगेस
ताकत : पूर्व सैनिक होना, जिला परिषद सदस्य, ईमानदार छवि सीएम फैक्टर का सहारा।
कमजोरी : चुनाव प्रबंधन की खलेगी कमी, भाजपा की तरह मजबूत संगठन नहीं।
चुनौती : सभी नेताओं व टिकटार्थियों को एक मंच पर लाना, पार्टी का कैडर खड़ा करना।
अवसर : कांग्रेस में स्थापित सैनिक चेहरा बनने का मौका, सीएम की कोर टीम तक पहुंच।
तानाशाही की पोल खुलेगी
दल नहीं बदला है। प्रदेश की तानाशाह सरकार ने सुजानपुर समेत छह विस क्षेत्रों से उनके विधायक छीने हैं। लोगों के बीच जाकर प्रदेश कांग्रेस सरकार के तानाशाही रवैये की पोल खोल रहा हूं। षड्यंत्र के तहत विधानसभा सदस्यता खत्म की गई है। सुजानुपर समेत प्रदेश में भाजपा सरकार में खोले गए 900 से अधिक संस्थान बंद किए गए हैं। सुजानपुर में बिजली बोर्ड और जलशक्ति विभाग का कार्यालय भी बंद है। यहां तक कि रोजगार के केंद्र हमीरपुर में जांच के बहाने कर्मचारी चयन आयोग कार्यालय बंद कर दिया गया है। यह सरकार हमीरपुर और प्रदेश के अन्य जिलों की नहीं बल्कि शिमला तक सीमित मित्रों की सुक्खू सरकार है। षड्यंत्र के तहत सीएम सुक्खू ने पावर में आते ही वीरभद्र सिंह समर्थकों को ठिकाने लगाने का कार्य किया है। -राजेंद्र राणा, भाजपा प्रत्याशी
राजेंद्र राणा, भाजपा
ताकत : सांगठनिक कौशल व चुनाव प्रबंधन में महारत, चुनावी राजनीति का लंबा अनुभव।
कमजोरी : भाजपा के वोट बैंक को साथ जोड़े रखना। एक वोट सीएम एक वोट पीएम।
चुनौती : भितरघात और भाजपा में स्वीकार्यता, सीएम से सीधी सियासी लड़ाई।
अवसर : भाजपा में फिर पांव जमाने का मौका, हमीरपुर से बड़ा चेहरा बनने का मौक
मुद्दे वही… उठाने वाले बदल गए
- झनियारा निवासी पूर्व सैनिक अजीत सिंह कहते हैं कि पिछले दस साल से सड़कों की हालत खराब है।
- दल बदल गलत बात है। हार और जीत लगी रहती है। लोगों में एक वोट पीएम और एक वोट सीएम पर चर्चा है।
- एक अन्य पूर्व सैनिक सरदूल सिंह ने कहा कि ऐसा कानून हो कि नेता चुनाव के बाद दल न बदल सके।
- डिब्ब गांव में दुकान पर बैठे जसवंत कहते हैं कि विकास के मुद्दे प्राथमिकता होनी चाहिए। नेता अपने हितों को देख कर दल बदलने में जुटे हैं। जनता के मुद्दों की कोई बात नहीं कर रहा है। एक दशक से लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं।
- मति टिहरा पंचायत के घरियाना गांव की निर्मला घर के आंगन में कपड़े की सिलाई करते हुए कहती हैं कि आपदा के दौरान कार्य हुआ है। लोगों के क्षतिग्रस्त घरों और डंगों के लिए पैसा मिला है। अब सियासी अदला-बदली के खेल ने थोड़ा असमंजस बना दिया है। वोटर भी गफलत में हैं कि किसे वोट करें।
भाजपा बद्दी-चंडीगढ़ तक पहुंची, कांग्रेस सम्मेलनों में जुटी
भाजपा और कांग्रेस दोनों दल प्रचार में जुट गए हैं। भाजपा की ओर से बद्दी और चंडीगढ़ में रह रहे सुजानपुर के निवासियों के साथ बैठकों का आयोजन किया जा चुका है। पार्टी बूथ स्तर पर जुटी है। विधानसभा में हर सेक्टर में चुनाव कार्यालय से कार्य किया जा रहा है। वोटर को पोलिंग बूथ तक लाने में राजेंद्र राणा अपने पूरे अनुभव का फायदा उठाकर ताकत झोंक रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी कैप्टन रंजीत भी चुनावी जंग के मैदान में डट गए हैं। कांग्रेस की ओर जिला कांग्रेस के साथ प्रदेश स्तर के नेता भी सुजानपुर में डेरा जमाए हुए हैं। सीएम सुक्खू के करीबी विधायक सुरेश कुमार ने यहां चुनावी प्रबंधन की कमान संभाली हुई है। कांग्रेस भी बूथ स्तर पर प्रचार के लिए डट गई है।